‘प्लांट टैक्सोनॉमी असेसमेंट एंड स्टैटिस्टिकल एनालिसिस’ प्रशिक्षण कोर्स के दूसरे दिन विद्यार्थियों को पौधारोपण और उनकी तकनीकी पक्ष पर दिया प्रशिक्षण

जी.बी.पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल के वैज्ञानिकों ने सोबन सिंह जीना परिसर के वनस्पति विज्ञान विभाग में विद्यार्थियों को पौधारोपण और उनकी तकनीकी पक्ष पर दिया प्रशिक्षण

वैज्ञानिकों ने जैव विविधता को बनाये रखने की बात कही

 

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा गोविंद बल्लभ पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट,कोसी कटारमल, सेंटर फॉर बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट और नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज के सहयोग से तीन दिवसीय प्लांट टैक्सोनॉमी असेसमेंट एंड स्टैटिस्टिकल एनालिसिस विषय पर प्रशिक्षण कोर्स के दूसरे दिन विभिन्न तकनीकी सत्रों में प्लांट कंजर्वेशन अपरोचेज, प्रजाति चयन, नर्सरी प्रबंधन और पौधारोपण की तकनीक, जैव सांख्यिकी, वनस्पतिक विज्ञान में वनस्पतियों के चयन हेतु प्रचलित विभिन्न प्रकार के एप्लीकेशन और प्रविधि आदि विभिन्न विषयों पर गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान,कोसी कटारमल के वैज्ञानिकों ने विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया।

जी बी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक-‘एफ’ और सेंटर हेड डॉ.आई डी. भट्ट ने वनस्पतियों के रख-रखाव, पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न पक्षों, जैव विविधता के विविध आयामों पर विस्तार से अपना व्याख्यान देकर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के संतुलन के लिए जैव विविधता को बनाए रखें।

जी बी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के सीनियर तकनीकी अधिकारी डॉ.सुबोध ऐरी ने कहा कि बागवानी के लिए वनस्पतियों के चयन के लिए सावधानियां रखनी पड़ती हैं। नर्सरी के तापमान, विभिन्न तरह के प्रजाति का संरक्षण के उपाय आदि पक्ष पर व्याख्यान दिया। उन्होंने पौध-रोपण के तकनीकी पक्ष पर विस्तार से अपनी बात रखी और कहा कि हम नर्सरी बनाकर रोजगार के अवसर खोज सकते हैं और स्वरोजगार के लिए भी यह उपयुक्त है।
जी बी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक-‘डी’ डॉ संदीपन मुखर्जी ने जैव सांख्यिकी और वनस्पतियों के वर्गीकरण के लिए विभिन्न प्रकार के एप्लीकेशन पर अपना व्याख्यान और प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि विभिन्न सांख्यिकी पैकेज के सहारे हम वनस्पतियों का आंकलन, संकलन और वर्गीकरण कर सकते हैं। इन प्रविधियों से वनस्पतियों के संकलन में आसानी हो गयी है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक और वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.बलवंत कुमार ने कहा कि विद्यार्थियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को सराहा है। उनकी मांग आ रही है कि भविष्य में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जायें। उन्होंने कहा कि छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अनुभवी वैज्ञानिकों द्वारा उनको निर्देशित किया जा रहा है, ताकि वह इस क्षेत्र में रोजगार पा सकें और स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकते हैं।
कार्यक्रम में ममता कनवाल, हितेश पांडे, तनुजा साह, अक्षिता धपोला आदि विद्यार्थियों ने कार्यक्रम का फीडबैक दिया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ मंजुलता उपाध्याय द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ मनीष त्रिपाठी, जोया साह, पूनम मेहता, तनुजा जोशी, कपिल बिष्ट, डॉ. ललित चंद्र जोशी सहित वनस्पति विज्ञान विभाग के शिक्षक, शोधार्थी छात्र-छात्राएं शामिल हुए।