अल्मोड़ा। गुरिल्लों की जनजागरण रथ यात्रा पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार चितई गोलज्यू मंदिर से प्रारम्भ हुई। यात्रा पेटशाल, बाड़ेछीना होते हुए दन्या को गई है। बाड़ेछीना, पनुवानौला में सभाओं को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज भी देश को गुरिल्लों की उतनी ही आवश्यकता है जितनी 1963 में एसएसबी के गठन के समय थी, गुरिल्लों के पनुवानौला से संबंध को याद करते हुए संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मा नंद डालाकोटी ने कहा यहाँ एसएसबी का क्षेत्रीय संगठक का कार्यालय होता था, जिसके माध्यम से 1963 से लेकर 2000 तक हजारों स्थानीय युवाओं को गुरिल्ला प्रशिक्षण हेतु सराहन, ग्वालदम और पौड़ी भेजा गया। समय-समय पर हमें यहाँ अनेक पुनर्बोधात्मक प्रशिक्षण भी दिए गए। लेकिन गुरिल्लों की तरह ये कार्यालय भी वीरान हो गए हैं, उन्होंने कहा कि सीमाओं पर जो आतंकवादी, अलगाववादी ताकतें फिर उभरने लगी हैं सरकार को इसकी जांच अवश्य करनी चाहिए कि कहीं गुरिल्ला सुरक्षा प्रणाली खत्म करने से तो ये समस्या पैदा नहीं हो रही है। जिस प्रकार सीमाओं से पलायन हुआ है, सीमावर्ती इलाके जनशून्य हो रहे ये हैं, बड़े खतरे का संकेत है। सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने गुरिल्लों को उनके गांवों में ही रोजगार देकर सरकार सीमाओं से पलायन रोक सकती है। यात्रा में आज केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मा नंद डालाकोटी, जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला, विजय जोशी, बसंत लाल, शेर सिंह, बिशन सिंह नेगी, रामपाल, के डी पांडे, नवीन कुमार, भूपाल सिंह, गोपाल राम, राजन राम आदि सम्मिलित रहे।