अल्मोड़ा। अल्मोड़ा में बंदरों की समस्या से जन जीवन त्रस्त है। बच्चों का स्कूल जाना हो या घर की छत पर कपड़े सुखाना हो या राह चलते इन कटखने बंदरों से सामना हो ही जाता है। हाथ से सामान छीनना और स्कूल जाते बच्चों को दौड़ाना इनका जन्मसिद्ध अधिकार हो चुका है। बंदरों की समस्याओं को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता प्रभागीय वनाधिकारी को पत्राचार किया है।
उनके द्वारा दिये पत्रानुसार उनका कहना है कि काफी समय से अल्मोड़ा नगर व आस पास के क्षेत्रों में बंदरों ने राहगीरों स्कूली बच्चों व आम लोगों का जीना दूभर कर दिया है। सूत्रों से पता चला है की बंदरों को गाड़ियों में भर भर कर पहाड़ों में भेजा जा रहा है, कई बार मैंने स्वयं अपनी आँखों से बंदरों को ट्रकों से उतारते हुए देखा है।
ये लोग बंदरों को ऐसी जगह पर छोड़ते हैं, जहाँ पर इन्हें कोई आसानी से नहीं देख पाता है, जिसका फायदा ये बखूबी उठाते हैं, ये कटखने बन्दर राह चलते आम लोगों पर व उनके घरों में घुस कर हमला कर रहे हैं।
साथ ही उन्होंने लिखा है कि जगह जगह पर वन विभाग की चौकियां होने के बाद भी इन बंदरों को जनपद की सीमाओं में कैसे छोड़ा जा रहा है।
उन्होंने साथ ही यह भी लिखा है कि पहाड़ों में बन्दर पहले भी थे पर ये आम लोगों को नुकसान नहीं पहुचाते थे। जाहिर सी बात है बंदर कोई उड़ कर वायु मार्ग से नहीं आ रहे हैं बल्कि इन्हें ट्रकों में लादकर लाया जा रहा है, वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इन गाड़ियों की चेकिंग नहीं करते हैं।
इन बंदरों को पकड़ने की व्यवस्था सुनिश्चित करने व सीमा चौकियों में अवैध रूप से लाये जा रहे बंदरों को ढोने वाले वाहनों पर कठोर कार्यवाही सुनिश्चित करने की मांग सामाजिक कार्यकर्ता संजय पांण्डे ने प्रभागीय वनाधिकारी अल्मोड़ा से की है।