अल्मोड़ा। पद्मभूषण डा. बोशी सेन द्वारा स्थापित भाकृअनुप- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में 09 सितम्बर को डा. लक्ष्मी कान्त ने निदेशक के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल (ए.एस.आर.बी.) नई दिल्ली द्वारा निदेशक के पद पर चयन संस्तुति के पश्चात् केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और अध्यक्ष, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा 05 वर्ष के लिए या अग्रिम आदेशों तक डा. लक्ष्मी कान्त को निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया है। कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात् डा. लक्ष्मी कान्त ने 12 सितम्बर, 2022 को इस संस्थान के अल्मोड़ा एवं हवालबाग के समस्त कार्मिकों के साथ बैठक की। सर्वप्रथम उन्होंने डा. बोशी सेन को नमन करते हुए इस संस्थान के पूर्व निदेशकों नामतः डॉ. जे. पी. टण्डन, डॉ. वी. एस. चौहान, डॉ. वी. पी. मनी, डॉ. एच. एस. गुप्ता, डा. जे. सी. भट्ट, डा. ए. पट्टनायक व अन्य सभी सहयोगियों जिनके साथ उन्होंने काम किया, को धन्यवाद दिया। तदुपरान्त उन्होंने संस्थान के समस्त कार्मिकों का आभार व्यक्त किया जिनके सहयोग से इस उपलब्धि को प्राप्त कर पाये हैं। उन्होंने इस संस्थान को नयी ऊँचाईयों में पहुंचाने हेतु सभी कार्मिकों से समन्वित रूप से अपना शत-प्रतिशत योगदान देने का आह्वान किया ताकि संस्थान को एक उत्कृष्ट संस्थान बनाया जा सके एवं संस्थान की उन्नति के फलस्वरूप किसानों को फायदा पहुंच सके।
डा. लक्ष्मी कान्त मूलतः नगारी गाँव, भवाली, जिला नैनीताल, उत्तराखण्ड के निवासी हैं। उनके द्वारा स्नातक (कृषि) एवं परास्नातक (पादप प्रजनन) की उपाधि गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पन्तनगर, जिला उधमसिंहनगर (उत्तराखण्ड) तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं सम विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से पीएचडी (आनुवांशिकी) प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् उन्होंने प्लांट ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट, कोबिटी, सिडनी विश्वविद्यालय, आस्टलिया से पोस्ट डाक्टरेट किया है। उनके द्वारा विगत 27 वर्षों से गहूं एवं जौ के उत्तर-पश्चिमी पर्वतीय क्षेत्रों हेतु अधिक उपज देने वाली रोग रोधी किस्मों का विकास परम्परागत एवं मालिक्यूलर ब्रिडिंग द्वारा किया गया। डा. लक्ष्मी कान्त द्वारा अभी तक भारत की उत्तरी पर्वतीय हेतु उपयुक्त गेहूँ की 14 एवं जौ की 5 किस्मों का विकास किया गया है। इनके 73 से अधिक शोध पत्र 10 समीक्षा पत्र, 44 लोकप्रिय लेख, 4 पुस्तकें एवं 21 पुस्तक अध्याय प्रकाशित हैं।