अस्पताल में भर्ती बहन को देखने आए किशोर की तबीयत बिगड़ने से मौत

देहरादून। दून अस्पताल के बाल रोग विभाग में भर्ती 15 वर्षीय बहन को देखने आए एक किशोर की तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही और उसे न देखने का आरोप लगाकर हंगामा किया। घंटों तक हंगामा चलता रहा। पुलिस कर्मियों एवं सुरक्षा गार्डों ने स्थिति को संभाला। बाद में परिजन बिना पोस्टमार्टम के शव को ले गए।
मूलरूप से यूपी के हरदोई के रहने वाले सर्वेश अजबपुर कलां में किराये पर रहते हैं। उन्होंने अपनी बेटी सलोनी(15 वर्ष) को तबीयत खराब होने पर शनिवार को पीलिया वार्ड में भर्ती कराया। शाम को उनका छठी में पढ़ने वाला बेटा प्रिंस बहन को देखने अपनी मौसी रेखा के साथ आया था। रात को वह यहीं रूक गया। परिजनों के मुताबिक देर रात करीब 12 बजे उसके पेट में दर्द हुआ तो उसने नर्सिंग स्टाफ को बताया। कुछ दवा लिखकर दी गई। बाहर से 250 रुपये की दवा खरीदकर लाए। आराम नहीं लगा। काफी देर तक डॉक्टर नहीं आए। फिर इमरजेंसी में भेज दिया गया। आरोप है कि वहां करीब दो घंटे बैठा रहा, लेकिन समुचित इलाज नहीं दिया गया। सुबह हालत ज्यादा खराब हुई तो पीकू वार्ड में लिया गया। बाद में उसे मृत घोषित कर दिया। बच्चे का पेट फूल गया था। देर शाम कार्यवाहक एचओडी डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि फैकल्टी से पता किया है। रात को बच्चे को डॉक्टरों द्वारा वार्ड-इमरजेंसी में देखा है। सुबह दोबारा आने पर वार्ड में भर्ती किया। पेट दर्द की वजह पता लगाने अल्ट्रासाउंड का इंतजार किया जा रहा था। इसी बीच तबीयत बिगड़ने पर पीकू में लाया गया। इसी दौरान उसकी मौत हो गई। परिजन बच्चे को लेकर चले गए।
डीएमएस डॉ. धनंजय डोभाल का कहना है कि विभाग से विस्तृत रिपोर्ट ली जा रही है। रात में जेआर-एसआर रहते हैं। लापरवाही मिलने पर कार्रवाई होगी। घटना की जानकारी तुरंत अफसरों को देने को निर्देशित किया जा रहा है।
मां अर्चना, मौसी रेखा समेत परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। उनका कहना था कि शनिवार को ही दोनों भाई प्रिंस और दिव्यांशु की ड्रेस लेकर आए थे। ड्रेस में ही वह बहन को देखने आया था। जिद करके रात को यहां रुक गया और रात को तबीयत खराब हो गई। अस्पताल स्टाफ इधर उधर दौड़ाते रहे, ना स्ट्रेचर मिला, ना व्हील चेयर और न दवा।

अफसरों को सूचना तक नहीं दी: बाल रोग विभाग में किशोर की मौत एवं हंगामे की जानकारी पर कोई वरिष्ठ डॉक्टर या अफसर नहीं पहुंचे। घंटों तक हंगामा हुआ। कार्यवाहक एचओडी, डीएमएस, एमएस एवं प्राचार्य स्तर पर नहीं बताया गया। जानकारी लेने पर पूछताछ करते रहे।

सीनियर डॉक्टर पर मरीज न देखने का आरोप: बाल रोग विभाग में भर्ती एक दस साल के मरीज के परिजनों ने सीनियर डॉक्टरों पर न देखने का आरोप लगाया है। एमएस और डीएमएस से शिकायत की गई। दोनों ने संज्ञान लेकर संबंधित डॉक्टर से बात की। डीएमएस ने बताया कि डॉक्टर देख रहे हैं, मरीज के तीमारदार भी सहयोग करें। बच्चे की रिपोर्ट कुछ ठीक नहीं है। एसआर को भेजकर दिखवाया है।