नई दिल्ली (आरएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर में संभावित बस कमी को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया है। लगभग 1,000 सार्वजनिक बसों के सडक़ों से हटने का खतरा था, लेकिन अब उनके परमिट 15 जुलाई तक बढ़ा दिए गए हैं। यह कदम कुछ क्लस्टर बस सेवा संचालकों द्वारा उठाई गई चिंताओं के बाद आया है, जिनके कॉन्ट्रैक्ट (ठेके) इस महीने खत्म होने वाले थे।
दिल्ली में इस समय 3,147 क्लस्टर बसें चल रही हैं। जिनमें से 997 का दिल्ली परिवहन विभाग के साथ 10 साल का ठेका 19 जून को समाप्त होने के कारण चलना बंद होना तय था। रिपोर्ट के मुताबिक, इन बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलने की सरकार की योजना में देरी हुई। जिसके कारण इस अंतरिम राहत की जरूरत पड़ी।
क्लस्टर बस सेवाएं प्रदान करने वाली तीन कंपनियों – मेट्रो ट्रांजिट प्राइवेट लिमिटेड, एंटनी रोड ट्रांसपोर्ट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और गोवर्धन ट्रांसपोर्ट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड – ने दिल्ली हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मांगी। उनकी याचिकाओं पर जस्टिस नेहा बंसल कृष्णा ने सुनवाई की, जिन्होंने परमिट 15 जुलाई तक बढ़ाने का निर्देश दिया।
यह फैसला सुनिश्चित करता है कि आगे कोई निर्णय लेने तक सार्वजनिक बसें सुचारू रूप से चलती रहेंगी। अदालत ने दिल्ली सरकार को याचिकाओं का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है, अगली सुनवाई 15 जुलाई के लिए निर्धारित है।
याचिकाओं में उठाए गए प्रमुख बिंदुओं में से एक पूरे बेड़े की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए परमिट की वैधता तब तक बढ़ाने का अनुरोध था। जब तक कि बेड़े की सभी बसें 10 साल का परिचालन पूरा नहीं कर लेतीं। यह उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए है कि अगल बसें सडक़ पर चलने लायक हैं तो वे चलती रहें।
विवाद 2013 में कंपनियों और दिल्ली सरकार के बीच राजधानी में स्टेज कैरिज सेवाओं के संचालन, रखरखाव और प्रबंधन के लिए किए गए समझौतों से उपजा है। जबकि कानूनी प्रक्रिया चल रही है, उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप क्लस्टर बस ऑपरेटरों और यात्रियों दोनों के लिए एक अस्थायी राहत लेकर आया है।