केंद्र की नई यूनिफाईड पेंशन योजना उत्तराखंड में न की जाए लागू

देहरादून(आरएनएस)। पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन (एनएमओपीएस) ने उत्तराखंड में केंद्र सरकार की नई यूनिफाईड पेंशन योजना (यूपीएस) को लागू न किए जाने को दबाव बनाया। अपर मुख्य सचिव वित्त आनंद बर्द्धन को ज्ञापन सौंप पुरानी पेंशन योजना को बहाल किए जाने पर जोर दिया। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने कहा कि नई पेंशन योजना और यूनिफाईड पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना योजना को ही लागू किया जाए। यूनिफाईड पेंशन योजना को एक अप्रैल 2025 से लागू किए जाने की बात की जा रही है। सभी राज्यों को इसे लागू किए जाने की सलाह दी गई है। ये योजना भी कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक है। यूपीएस योजना में कर्मचारियों द्वारा अपने वेतन से कटौती कर अंशदान के रूप में जमा की गयी 10 प्रतिशत की राशि को कर्मचारियों को वापस नहीं किया जाएगा। पहले पुरानी पेंशन व्यवस्था में यह राशि जीपीएफ में जमा होती थी। जो रिटायरमेंट या नौकरी में रहते हुए भी कर्मचारी को वापस होती थी। ओपीएस में राज्य में 20 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद पेंशन का प्रावधान था। अब इसे बढ़ा कर 25 वर्ष किया गया है। उत्तराखंड में नौकरी की अधिकतम आयु 42 वर्ष है। ऐसे में कर्मचारी 18 से 24 साल ही नौकरी कर पाता है। इस स्थिति में कोई भी कर्मचारी यूपीएस योजना का लाभ नहीं ले पाएगा।
ज्ञापन देने वालों में शांतनु शर्मा, सूर्य सिंह पंवार, पुष्कर राज बहुगुणा, सुनील गोसाईं, उर्मिला द्विवेदी, एसएस चौहान, अनिल पंवार, दिनेश सिंह, शरद टम्टा, अनीता भंडारी, हर्षवर्धन जमलोकी मौजूद रहे।

एक राज्य में तीन व्यवस्था
महासचिव मुकेश रतूड़ी ने कहा कि एक राज्य में पेंशन की तीन तरह की व्यवस्था हो जाएगी। कुछ कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिल रहा है। कुछ को नई पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। कुछ को भविष्य में यूपीएस का लाभ मिलेगा। ये एक तरह से कर्मचारियों के साथ मजाक है। यूपीएस में कर्मचारियों को ग्रेज्युटी का भी नुकसान तय है।