नैनीताल(आरएनएस)। भीमताल में दो लोगों को मार डालने वाले जंगली जानवर को मारने के वन विभाग के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने कहा कि वन विभाग अब तक यह तय नहीं कर पाया है कि हमलावर जानवर बाघ है या गुलदार। ऐसे में बिना पहचान किए किस आधार पर वनाधिकारियों ने वन्यजीव को मारने के आदेश जारी कर दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि हमलावर हिंसक जानवर की पहचान करने के लिए कैमरे, पकड़ने के लिए पिंजड़े लगाए जाएं। अगर पकड़ में नहीं आता है तो उसे ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर भेजा जाए। कोर्ट ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन की धारा 11ए में जानवर को मारने के आदेश पर अगली सुनवाई की तिथि 21 दिसंबर तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
भीमताल में दो महिलाओं को मारने वाले हिंसक जानवर को वन विभाग ने नरभक्षी घोषित कर दिया था। उसे मारने के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन के आदेश का स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई की। इसमें सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंदशेखर रावत, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन धनंजय मोहन और डीएफओ नैनीताल चंद्रशेखर जोशी उपस्थित हुए। खंडपीठ ने जब वनाधिकारियों से गुलदार को मारने की अनुमति देने के प्रावधान के बारे में जानकारी मांगी तो अधिकारी इससे जुड़े नियमों का ठीक से जवाब तक नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 13ए में खूंखार हमलावर जानवर को मारने की अनुमति दी जाती है। उन्होंने उसे पकड़ने और पहचान करने के लिए 5 पिंजड़े और 36 कैमरे लगाए हैं।
घर का बच्चा बिगड़ जाए तो उसे मार नहीं डालते
न्यायालय ने उनसे पूछा कि हिंसक जानवर गुलदार था या बाघ। इस पर भी अधिकारी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाए। न्यायालय ने कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंसक जानवर को मारने के लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन की संतुष्टि होना जरूरी है न कि किसी नेता के आंदोलन की। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन की धारा 11ए के तहत तीन परिस्थितियों में किसी जानवर को मार सकते हैं। उसे पहले उस क्षेत्र से खदेड़ जाएगा, फिर ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर में रखा जाएगा और अंत मे मारने जैसा अंतिम कठोर कदम उठाया जा सकता है। पर वन विभाग ने बिना जांच के सीधे मारने के आदेश दे दिए। न्यायालय ने कहा कि घर का बच्चा अगर बिगड़ जाता है तो उसे सीधे मार थोड़ा दिया जाता है। क्षेत्रवासियों के आंदोलन के बाद कैसे बिना जांच के वन्यजीव को मारने के आदेश जारी किए गए।
वन विभाग के आदेश में बाघ को बताया गया हमलावर
भीमताल में इंसानों को मारने वाले जानवर को मारने के अदेश मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक धनंजय मोहन की ओर से रविवार को जारी किए गए थे। इस आदेश में बताया गया है कि बाघ ने ही दो इंसानों को मारा है। इसलिए ट्रेंकुलाइज न होने और पिंजड़े में न पकड़े जाने पर बाघ को मारने के आदेश दिए गए हैं। यह आदेश केवल एक सप्ताह यानि इस रविवार तक ही वैध रहेगा। हालांकि, वन विभाग के अधिकारी खुद यह साफ नहीं कर रहे कि हमलावर गुलदार है या बाघ।