अल्मोड़ा। अंजली अल्मोड़ा के पपरशैली ग्राम की निवासी है, 16 वर्षीय अंजली ने अभी आर्य कन्या इंटर कॉलेज से 12 वीं की परीक्षा 88% के साथ उत्तीर्ण की है एवं हाल ही में इन्होंने लोक ऐपण कला का कार्य शुरू किया है। जिसमें वह उत्तराखंड की सांस्कृतिक व धार्मिक चीजों को लेकर लोक ऐपण कला को एक नया रूप दे रही है। ऐपण कला उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की विशिष्ट पहचान है। ऐपण कला उत्तराखंड की पुरानी और पौराणिक कला है। ऐपण कला के माध्यम से देवी देवताओं का आवाहन किया जाता है, या यूं कह सकते हैं, कि ऐपण में रेखांकित किये गए चित्र, सकारात्मक शक्तियों के आवाहन के लिए बनाए जाते हैं। उत्तराखंड के कुमाउनी संस्कृति में अलग अलग मंगल कार्यों और देवपूजन हेतु, अलग अलग प्रकार के ऐपण बनाये जाते हैं। जिससे यह सिद्ध होता है, कि ऐपण एक साधारण कला, या रंगोली न होकर एक आध्यात्मिक कार्यों में योगदान देने वाली महत्वपूर्ण कला है। अंजली का कहना है कि कुमाऊँ की संस्कृति की प्रतीक ऐपण कला को एक नया रूप देने के साथ-साथ देश विदेशों तक हमारे पहाड़ की संस्कृति को पहुंचाना है। अंजली का सपना सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा से BFA करना और भविष्य में प्रोफेसर बनना है। अंजली स्कूल समय से ही कला की शौकीन रही है व इन्होंने कई बार राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अल्मोड़ा का नाम रोशन किया है। अंजली का मानना है आज के युवाओं को कलाक्षेत्र से जुड़ना चाहिए व हमारी संस्कृति को पहचानना चाहिए। अंजली ने ऐपण में केदारनाथ, गोलू देवता, नंदा देवी, कसार देवी, गणेश जी, बारात, लोटे, थालिया इत्यादि अन्य सुंदर-सुंदर ऐपण बनाए हैं। अंजली का कहना है उन्होंने अभी बस शुरुआत की है वो अपने इस कार्य को बहुत आगे ले जाएंगी।