अल्मोड़ा, द्वाराहाट: द्वाराहाट में ऐतिहासिक बिखौती मेले में लोक संस्कृति व गौरवशाली विरासत का दीदार हुआ। वीर एवं भक्ति रस में डूबे रणा के बाद सिमलगांव, नैणी, बेढुली, बनोली, असगोली, बलना, बसेरा, छतगुल्ला, तल्ली काहली, बूंगा, सलना व कुंई आदि समेत 15 जोड़ी नगाड़े-निषाणों लेकर बांकुरे विभांडेश्वर मंदिर परिसर पहुंचे। नगाड़े व दमाऊ की धुन पर ‘डंगा बाजा’ से मुग्ध किया। बुजुर्गो ने ‘सरंकार’ नृत्य के जरिये युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया। लोक गायक प्रकाश काहला ने साथियों संग गीत प्रस्तुत किए। ब्रह्म मुहुर्त में रणभेरी बजते ही त्रिवेणी पर महास्नान हुआ। परंपरानुसार पहले शिव फिर सती कलावती देवी की चरण पादुका का विशेष पूजन किया गया।
कुमाऊं की प्राचीन सांस्कृतिक नगरी में बुधवार दोपहर बाटपूजै (मार्ग पूजन) की परंपरा निभाई गई। दिन भर नगर क्षेत्र में झोड़ा गीतों की धूम रही। विभिन्न गांवों से पहुंची महिलाओं ने ‘धुर जंगल आग लागि गो सैपों की चकाचक, कोरोना त्वीलै नौकरी खाई नेता च्यू टकाटक. आघिल साल 15 पैटा हिटड़ी हैजो भौ..’ नए झोड़ा गीत रचे गए। इस दौरान नगाड़े निषाण दल के मुखिया, पारंपरिक वाद्ययंत्रों को सजीव रखे लोककलाकार व सरंकार नर्तकों का पुष्पवर्षा कर सम्मानित किया गया। त्रिमूर्ति चौराहा पर मदन मोहन उपाध्याय, हरिदत्त काडपाल व बिपिन त्रिपाठी की मूर्तियों का माल्यार्पण भी किया गया। अबकी बार रंगकर्मी महिलाओं व पुरुषों ने कोरोना व वनाग्नि पर झोड़ा गीतों से जहां तंज कसे, वहीं झोड़े से व्यंग्यबाण चलाए। सायं नौच्यूला धड़े के हाट, विद्यापुर, सलालखोला व कौला के रणबाकुरो ने नगाड़े निषाणों के साथ ओढ़ा भेंटने की रस्म निभाई।
(रिपोर्ट: मनीष नेगी, द्वाराहाट)