नौकरी लगाने के नाम पर धोखाधड़ी के अभियुक्त की जमानत अर्जी ख़ारिज

अल्मोड़ा। धोखाधड़ी के एक मामले में अभियुक्त की जमानत अर्जी ख़ारिज हो गई। सत्र न्यायाधीश कौशल किशोर शुक्ला के न्यायालय में अभियुक्त रितेश पाण्डे पुत्र मोहन चन्द्र पाण्डे निवासी जेल रोड, हीरानगर, हल्द्वानी जिला नैनीताल द्वारा धारा 420 के तहत अभियुक्त द्वारा अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपनी जमानत हेतु जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत की गयी थी। जिस पर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा, द्वारा अभियुक्त की जमानत का विरोध करते हुए न्यायालय को यह बताया कि वादी मुकदमा खजान सिंह बोरा पुत्र नारायण सिंह बोरा निवासी दन्या जनपद अल्मोड़ा ने दिनांक 30-07-2022 को थाना दन्या जिला अल्मोड़ा में एक तहरीर इस आशय से दर्ज कराई थी कि अभियुक्तगण रितेश पाण्डे, कविता मेहरा व आदित्य मेहरा द्वारा सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर कुल 13,80,000 / (तेरह लाख अस्सी हजार रू०) की घोखाधड़ी की गयी जिसकी पुष्टि वादी व गवाहों के बयान तथा अभियुक्त रितेश पाण्डे के आई०डी०बी०आई० बैंक शाखा गोलापार खेड़ा हल्द्वानी जिला नैनीताल के बैंक स्टेटमैंट तथा सहअभियुक्त आदित्य मेहरा के पी०एन०बी० शाखा मल्लीताल के बैंक खाते से हुई है। अभियुक्तगणों के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्यों व बैंक स्टेटमैंट के आधार पर थाना दन्या जिला अल्मोड़ा में मुकदमा पंजीकृत किया गया। इसके अतिरिक्त भी अभियुक्त रितेश पाण्डे के विरूद्ध भिन्न-भिन्न थानों में अभियोग पंजीकृत हैं। अभियुक्त द्वारा वादी मुकदमा को सरकारी नौकरी लगवाने का लालच देकर उससे 13.8 लाख रूपये हड़प कर उसके साथ धोखाधड़ी की गई है। अभियुक्त को जमानत पर रिहा करने पर उसके द्वारा पुनः इसी प्रकार का अपराध कारित किये जाने या फरार हो जाने की पूर्ण संभावना है। क्योंकि अभियुक्त रितेश पाण्डे द्वारा जांच के दौरान पूर्व विवेचक उप निरीक्षक सुशील कुमार को विवेचना में सहयोग नहीं किया गया था तथा फरार चल रहा था। जिस कारण उपरोक्त विवेचक के द्वारा अभियुक्त रितेश पाण्डे के विरूद्ध न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा से गैर जमानतीय वारंट जारी किया गया तथा दिनांक 08-12-2022 को गिरफ्तार किया गया था। यदि अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है तो अभियुक्त अपनी जमानत का दुरूपयोग कर गवाहों / साक्ष्यों को प्रवाहित करने या पुनः इसी प्रकार का अपराध करने या फरार हो जाने की पूर्ण सम्भावना है जिस पर न्यायालय द्वारा पत्रावली का परिशीलन कर अभियुक्त की जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए खारिज की गई।