देहरादून। उत्तराखंड में 12 से 14 साल के किशोरों का टीकाकरण शुरू हो गया है। पहले दिन राज्य भर में कुल 4705 किशोरों का टीकाकरण किया गया है। जिसमें यूएस नगर में सबसे अधिक 1374, जबकि पिथौरागढ़ में सबसे कम महज 12 किशोरों का टीकाकरण किया गया। 15 साल से कम उम्र के किशोरों के टीकाकरण अभियान के तहत बुधवार को देशभर में 12 से 14 साल के किशोरों का टीकाकरण शुरू किया गया। राज्य में भी बुधवार को इस अभियान की शुरूआत हुई। हालांकि पहले दिन काफी कम किशोरों का टीकाकरण हो पाया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को केवल 13 साल के युवाओं को टीके लगाए गए। इसकी वजह यह रही कि कोविन पोर्टल पर पंजीकरण बुधवार से ही शुरू हुए। ऐसे में बूथों पर 12 साल की आयु पूरी कर चुके किशोरों को बुलाया गया था। स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के अनुसार बुधवार को राज्य भर में कुल 4705 किशोरों का टीकाकरण किया गया है।
पांच जिलों में 100 से कम किशोरों का टीकाकरण: टीकाकरण अभियान के पहले दिन राज्य में टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी रही। हेल्थ बुलेटिन के अनुसार बुधवार को अल्मोड़ा में 34, चम्पावत में 20, पिथौरागढ़ में 12, रुद्रप्रयाग में 78 और उत्तरकाशी में 51 किशोरों का ही टीकाकरण किया जा सका। जबकि बागेश्वर में 459, चमोली में 126, देहरादून मे 755, हरिद्वार में 872, नैनीताल में 196, पौड़ी में 329, टिहरी में 399, यूएस नगर में 1374 किशोरों का टीकाकरण किया गया।
राजकीय इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में हुआ टीकाकरण
जीआईसी अल्मोड़ा में आज 12 से 14 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों का कोविड टीकाकरण कार्य का शुभारंभ विधायक मनोज तिवारी ने किया। पहले दिन 34 बच्चों को कोविड का टीका कोरबेवैक्स लगाया गया। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आरसी पंत, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. दीपांकर डेनियल, डॉ. सी.एस. जोशी, वैक्सीनेटर योगेश भट्ट एवं डॉ. तनुजा, कपिल नयाल और आशा वर्कर मौजूद रही।
उम्र की वजह से टीकाकरण में दिक्कत: राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ कुलदीप सिंह मार्तोलिया ने बताया कि गुरुवार को टीकाकरण केवल ट्रायल के आधार पर शुरू करने को कहा गया था। इसलिए टीकाकरण कम हुआ है। उन्होंने कहा कि कोविन पोर्टल पर पंजीकरण तो शुरू हो गए हैं लेकिन पोर्टल कम उम्र के किशोरों का पंजीकरण भी ले ले रहा है। ऐसे में बूथों पर उम्र वेरिफाई कर ही टीकाकरण करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि यह टीका 12 साल से कम उम्र के किशोरों को नहीं लगना है। ऐसे में विशेष सावधानी बरती जा रही है।