हिन्दी की वैश्विक स्तर पर पहुंच बढ़ाने के लिए शिक्षाविद् हुए एकजुट
अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में मंगलवार से हिन्दी शिक्षण में कौशल का विकास शीर्षक पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का शुभारंभ कुलपति प्रो एनएस भंडारी एवं शिक्षासंकाय की संकायाध्यक्ष प्रो विजयारानी ढ़ौडियाल ने संयुक्त रूप से किया। इस ऑनलाइन वेबिनार में देश-विदेश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के शिक्षाविद हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए नवाचारी कौशलों के विकास के लिए मंथन कर रहे है। इस दो दिवसीय इंटरनेशनल वेबिनार का आयोजन उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान अल्मोड़ा एवं राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद(एससीईआरटी) के सहयोग से किया जा रहा है।
वेबिनार का शुभारंभ एसएसजे विवि के कुलपति प्रोफेसर एनएस भंडारी ने करते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर हिंदी को किस रूप में विकसित किया जाए इस पर विशेष अध्ययन और अध्यापन करने की आज नितांत आवश्यक है। कहा कि हिन्दी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए हमें इस क्षेत्र में सार्थक प्रयास करने होंगे। नए तरीके से हिन्दी के शिक्षण कौशलों का विकास करना होगा। केंद्रीय हिंदी संस्थान की अतिरिक्त निदेशक प्रो बीना शर्मा ने कहा कि हम कभी भी हिन्दी को अपनी मातृभाषा कौशल के रूप में नहीं देखते हैं, कहा कि किसी भी भाषा को आत्मसात करते करने के लिए प्रमुख चार कौशल होते है। जिनको हम दो वर्गों में बांट सकते हैं ग्राही (गृहणात्मक) कौशल और अभिव्यक्तियात्मक कौशल। ग्रहण कौशल के अंतर्गत सुनना और वाचन कौशल आता है। जबकि अभिव्यक्ति कौशल के अंदर लिखना और बोलना है। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में संदर्भ दाता के रूप में जुड़े जर्मन विश्वविद्यालय हैम्बर्ग के डाॅ राम प्रसाद भट्ट ने हिंदी के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में विकास के विषय में बताया। उन्होंने बर्लिन में हिंदी की शुरुआत से लेकर जर्मनी में हिंदी भाषा शिक्षण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। चैधरी चरण सिंह विवि के शिक्षा संकाय अध्यक्ष प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि विश्व स्तर पर हिंदी भाषा का बोलबाला बढ़ रहा है। अमेरिका की 57 यूनिवर्सिटी इस समय हिंदी भाषा को पढ़ लिख रही है। एनसीईआरटी नई दिल्ली की प्रो उषा शर्मा ने कहा कि हिंदी भाषा के विकास के संबंध में बाल साहित्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें कविताओं की भूमिका व्यापक होती है। स्कूल ऑफ एजुकेशन इग्नू नई दिल्ली के प्रो चंद्र भूषण शर्मा ने कहा कि हिंदी सभी भाषाओं की बड़ी बहन है और यहां संस्कृति की लाडली बेटी है। चीन के ग्वांगझू विश्वविद्यालय के डाॅ गंगा प्रसाद शर्मा ने कहा कि विदेशी विद्यार्थियों को हिंदी सीखने हेतु संसाधनों का अभाव है, किंतु फिर भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश की प्रो निलिम्प त्रिपाठी ने कहा कि हर शब्द का अलग अर्थ होता है और बालक अपनी माता की भाषा को आत्मसात स्वत ही कर लेता है। धरती, प्रकृति, भाषण, नारी को हमारे यहाॅ माता का स्थान मिला है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर अरविंद पांडे ने कहा कि हमें हिंदी को मूल रूप में पढ़ना होगा, अशुद्धियों, त्रुटियों और उच्चारण दोषों के निवारण के लिए विशेष सार्थक प्रयास करने होगे। ताकि हम अपनी भाषा को परिष्कृत और परिमार्जित कर इसका व्यापक प्रसार कर सकें। वेबिनार के अंत में प्रो भीमा मनराल के निर्देशन में शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस वेबीनार की अध्यक्षता लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ के प्राचार्य अशोक नेगी एवं संचालन संयोजक डॉ रिजवान सिद्दीकी, डॉ संगीता पवार और डॉ अरुण कुमार चतुर्वेदी आदि संयुक्त रूप से कर रहे हैं।