नैनीताल(आरएनएस)। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता और राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वे लिंगदोह कमेटी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय कोर्ट में प्रस्तुत करें। विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव न कराए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्णय 24 अक्तूबर को प्रस्तुत करने को कहा है। याचिका पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह ने हाईकोर्ट में इस संबंध में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने न्यूज पेपर में छपी 25 अक्तूबर को विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराने की खबर के संज्ञान का हवाला याचिका में दिया है। बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और राज्य सरकार से कहा कि लिंगदोह कमेटी को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय गुरुवार को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। बुधवार को इस मामले में राज्य सरकार का पक्ष भी रखा गया। कहा गया कि सरकार ने 23 अप्रैल 2024 को शासनादेश जारी कर कहा था कि शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले सभी विश्वविद्यालयों और इनके अधीन आने वाले महाविद्यालयों के छात्रसंघ चुनाव 30 सितंबर 2024 तक हो जाने चाहिए। लेकिन, विश्वविद्यालयों ने इसका अनुपालन नहीं किया। अब चुनाव कराए जाने की प्रक्रिया चल रही है, जो शासनादेश के विरुद्ध है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि शासनादेश का पालन राज्य सरकार को सुनिश्चित कराना चाहिए। विश्वविद्यालय न तो शासनादेश का अनुपालन कर रहे हैं और न ही छात्र संघ चुनाव को लेकर लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट का पालन कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि छात्र-छात्राओं के एडमिशन होने के बाद एक माह के भीतर ये चुनाव हो जाने चाहिए थे, ताकि पढ़ाई में कोई व्यवधान पैदा न हो।
याचिकाकर्ता महिपाल सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार ने 23 अप्रैल को शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया था। इसमें सरकारी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव 30 सितंबर तक कराने की जानकारी थी। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय पर चुनाव नहीं किए। न ही शासन से दिशा-निर्देश प्राप्त किए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यह छात्रसंघ चुनाव को लेकर लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है। इससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।