देहरादून(आरएनएस)। राज्य सरकार ने गर्मियों के सीजन में वनाग्नि रोकथाम को पांच साल की कार्य योजना मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेज दी है। वन महकमे ने वनाग्नि सत्र से पहले प्रदेश में सात नई पिरुल ब्रिकेट्स यूनिट तैयार करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के निर्देश पर वन महकमे ने पांच साल के लिए यह कार्ययोजना बनाई है। राज्य में वनाग्नि का मुख्य वजह, जंगलों में चीड़ वन की अधिकता है। वन विभाग के नियंत्रणाधीन वनाच्छादित क्षेत्र में लगभग, 15.25 प्रतिशत चीड़ है। इसलिए वन विभाग चीड़ पिरुल को एकत्रित करते हुए, इसका प्रयोग पैलेट्स, ब्रिकेट्स बनाने में कर रहा है।
इसके लिए स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जा रही है, वर्तमान में विभाग इन समूहों को प्रति कुंतल तीन रुपए की दर से चीड़ एकत्रित करने का भुगतान करता है, जिसे मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में बढ़ाए जाने की तैयारी है। विदित है कि पिछले साल विभाग ने स्वयं सहायता समूहों के जरिए 38299.48 कुंतल चीड़ पिरुल एकत्रित किया, जिसके बदले समूहों को 1.13 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया।
अब यूनिट बढ़ाने की तैयारी
अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि पिरुल एकत्रितकरण से वनाग्नि रोकथाम में प्रभावी कमी आती है। इसलिए वर्तमान में चल रही ब्रेकेटस यूनिट की संख्या बढ़ाकर 12 किए जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जल्द ही अल्मोड़ा, चंपावत, गढ़वाल और नरेंद्र नगर वन प्रभाग में सात नई यूनिट स्थापित हो जाएंगी। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी हो सकेगा।
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वनाग्नि रोकथाम के लिए, विभागों को समय से तैयारी करने को कहा गया है। प्रदेश में सात जगह नई ब्रेकेटस यूनिट बनने से ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा, साथ ही पिरुल से लगने वाली वनाग्नि में भी प्रभावी कमी आएगी। वनाग्नि रोकथाम के लिए भारत सरकार के पास पांच साल की कार्ययोजना भेजी गई है। – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री