देहरादून(आरएनएस)। प्रांतीय रक्षक दल हित संगठन पीआरडी की संशोधित नियमावली के विरोध में उतर गया है। संगठन ने कहा कि विभाग ने उनसे जो सुझाव और आपत्तीयां मांगी, उन्हें दरकिनार कर दिया गया। आरोप लगाया कि पीआरडी को ठेकेदारी का जरिया बनाया जा रहा है। संगठन के प्रदेश संयोजक प्रमोद मंद्रवाल ने कहा कि संगठन 15 वर्षों से नियमावली-1948 में शसोधन की मांग कर रहा था। इसपर सरकार ने नियमावली में संशोधन कर 20 मई 2024 को उसे मंजूरी दे दी। संगठन पीआरडी के नियमितिकरण, एक्ट में संशोधन कर 12 महीने के रोजगार की मांग कर रहा था, जिसे नियमावली में शामिल नहीं किया गया। जबकि पीआडी को आउटसोर्स का जरिया बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब पीआरडी में किसी को भी बिना मानक नौकरी दे दी जा रही है। पीआरडी के साथ स्वयंसेवक शब्द जुड़ा होने के कारण न उन्हें बोनस मिलता है, न ही उन्हें छुट्टी दी जाती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पीआरडी के एक जवान ने कोर्ट की शरण ली है। पीआरडी के सभी जवान उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि जवान मांगों पर आरपार की लड़ाई को तैयार हैं। विरोध करने वालों में प्रदेश सलाहकार रामानंद भट्ट, प्रदेश संयोजक सचिव संजय सिंह पंवार, जिला अध्यक्ष देहरादून गंभीर सिंह रावत, जिला सचिव देहरादून दीपा रावत, प्रदेश संयोजक प्रभारी मदनपाल, संयोजक सलाहकार विनोद कुमार, जिला अध्यक्ष टिहरी पदम सिंह भंडारी, जिला अध्यक्ष पौड़ी पुरुषोत्तम भारती, जिला कार्यकारी अध्यक्ष उत्तरकाशी सुबोध रतूड़ी आदि शामिल हैं।