कुमाउँनी भाषा में स्तरीय लेखन पर विचार गोष्ठी आयोजित

अल्मोड़ा। कुमाउँनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति की ओर से स्थानीय लक्ष्मी भंडार (हुक्का क्लब) में कुमाउनी भाषा पर केंद्रित एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में समकालीन हिंदी साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर डॉ हरिसुमन बिष्ट मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। गोष्ठी में समिति के सचिव नीरज पंत ने डॉ बिष्ट के साहित्यिक अवदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, यात्रा-वृत्तांत, अनुवाद और पटकथा लेखन जैसी विविध विधाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डॉ देव सिंह पोखरिया ने कहा कि डॉ हरिसुमन बिष्ट की लेखनी में न सिर्फ पर्वतीय जीवन की सघनता है, बल्कि महानगरीय समाज की विडंबनाओं और आमजन की पीड़ा को भी उन्होंने प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त किया है। कार्यक्रम में अपने अनुभव साझा करते हुए डॉ बिष्ट ने कहा कि उनका साहित्यिक सफर स्कूली शिक्षा के दिनों में शुरू हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि आज कुमाउनी में लेखन तो हो रहा है, लेकिन भाषा को बचाने और उसकी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए स्तरीय लेखन अनिवार्य है। इस अवसर पर महेश प्रसाद टम्टा को डॉ नारायण दत्त पालीवाल स्मृति मंदिर पर लेख लेखन पुरस्कार तथा डॉ पवनेश ठकुराठी को भारतेन्दु निर्मल जोशी स्मृति समालोचना लेखन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के उपाध्यक्ष जमन सिंह बिष्ट ने की, जबकि संचालन पहरु पत्रिका के संपादक नीरज पंत ने किया। लक्ष्मी भंडार की ओर से पुरवासी पत्रिका के संपादक महंत त्रिभुवन गिरी महाराज ने भी डॉ बिष्ट का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ एस एस पथनी, डॉ पवनेश ठकुराठी, महेश प्रसाद टम्टा सहित कमला बिष्ट, बलवंत सिंह बिष्ट, दीवान सिंह बिष्ट, के बी पांडे, रूप सिंह बिष्ट, ध्रुव टम्टा, चंदन पांडे, शशि शेखर और अनिरुद्ध टम्टा समेत अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।