बागेश्वर(आरएनएस)। रामगंगा नदी में नाचनी के पास झूला पुल का निर्माण सात वर्ष से अधर में लटका हुआ है। जिसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतान पड़ा रहा है। ग्रामीण अस्थायी लकड़ के पुल से आवाजाही कर रहे हैं। वर्षात में यह बह जाएगी। उन्हें ट्राली के सहारे रामगंगा नदी पार करनी होगी।सात वर्ष पहले रामगंगा घाटी में आई आपदा के जख्म अभी भी हरे हैं। रामगंगा नदी के ऊपर दो जिलों (बागेश्वर और पिथौरागढ़) को जोड़ने वाला झूला पुल आपदा में बह गया था। जो आज तक नहीं बना है। झूला पुल टूटने के बाद दोनों जिलों के ग्रामीण वर्षाकाल में ट्राली के सहारे नदी को पार करते हैं। जो काफी जोखिम भरा है। वर्तमान में लकड़ी का कच्चा पुल बना है। रविवार को पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण क्षेत्र के भ्रमण पर थे। उन्हें स्थानीय लोगों ने झूला पुल का मुद्दा याद दिलाया। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत कोश्यारी का गांव नाचनी चेताबगड़ सात किमी दूरी पर है। उनके गांव के लोग भी जान हथेली में रखकर नदी को पार करते हैं। कहा कि पुल नहीं बनने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय विधायक इसके लिए जिम्मेदार है। लोगों को 10 किमी लंबा घूमकर नाचनी बाजार पहुंचना पड़ता है।