अल्मोड़ा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग-सतत हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए राष्ट्रीय मिशन परियोजना के अन्तर्गत ‘जलवायु परिवर्तन और आजीविका हेतु आय सृजन’ विषय पर कृषक कार्यशाला का आयोजन बुधवार को विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, हवालबाग में किया गया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ. सुधाकर पांडे, सहायक महानिदेशक (बागवानी संभाग) ने अपने उद्बोधन में पर्वतीय कृषकों से अधिक आय अर्जन करने हेतु उच्च मूल्य वाली एवं दुर्लभ फसलों की खेती अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कृषकों को उनके उत्पाद से अत्यधिक लाभ कमाने के लिए केवल उत्पादक ही नहीं, बल्कि उद्यमी बनकर मूल्य श्रृंखला में भागीदारी करने के लिए प्रेरित किया। संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकान्त ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए अपने सम्बोधन में जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन के लिए स्थानीय फसलों के महत्व पर ज़ोर दिया। कार्यक्रम में गजेंद्र पाठक, शीतलाखेत मॉडल के संयोजक ने ‘जलवायु परिवर्तन की समझ एवं जलवायु-हितैषी अनुकूलन रणनीति’ विषय पर तथा राजेन्द्र बोरा, परियोजना अधिकारी, हिमोत्थान सोसायटी ने ‘आजीविका एवं आय सृजन के माध्यम से जलवायु अनुकूलन’ विषय पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला के दौरान कृषकों एवं विशेषज्ञों के मध्य समूह चर्चा का आयोजन भी किया गया। हिमोत्थान संस्था के द्वारा ‘वी एल प्याज 3’ के कृषक सहभागी बीजोत्पादन में सम्मिलित कृषक राधा देवी द्वारा भी प्रतिभागियों को प्याज के बीज उत्पादन द्वारा उनकी आयवर्धन के बारे में बताया गया। वैज्ञानिकों द्वारा लहसुन के बुलबिल से उत्पादन की विधि भी कृषकों के साथ साझा की गयी। संस्थान में इस कार्यशाला का आयोजन डॉ. बृज मोहन पाण्डेय, विभागाध्यक्ष, फसल उत्पादन विभाग एवं डॉ. कुशाग्रा जोशी, प्रभारी, सामाजिक विज्ञान अनुभाग द्वारा किया गया। इस अवसर पर परियोजना की सहयोगी श्रीमती वर्षा चौहान के अतिरिक्त अल्मोड़ा के मटिला, सूरी, गरसारी, विजयपुर पाटिया एवं हवालबाग गांव तथा कोटाबाग, नैनीताल के 61 प्रगतिशील कृषकों ने भागीदारी की।