अल्मोड़ा। सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल में विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने ग्रामीण समाज कल्याण समिति (ग्रास) के सहयोग से मंगलवार को ‘मिलेट फील्ड डे और किसान वैज्ञानिक संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अखिल भारतीय समन्वित लघु कदन्न शोध परियोजना के अन्तर्गत किया गया। कार्यक्रम में रौन गाँव की 30 महिला कृषकों ने भाग लिया, जिनके लिए यह एक अनूठा अवसर था कि वे कृषि वैज्ञानिकों के साथ सीधे संवाद कर सकें और मण्डुआ खेती में नवीनतम तकनीकियों के बारे में जान सकें। इस संवाद का नेतृत्व वरिष्ठ वैज्ञानिक और मिलेट प्रजनक डॉ. दिनेश चंद्र जोशी ने किया। डॉ जोशी ने बताया कि हम अपने किसानों को सशक्त बनाने के लिए वीएल मण्डुआ 400 जैसी उन्नत तकनीकों को पेश कर रहे हैं। ये नवाचार केवल उपकरण नहीं हैं, ये परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं जो मण्डुआ खेती को आजीविका खेती से अधिक लाभदायक उद्यम में बदलने में मदद करेंगे। रौन गाँव की महिला किसान विशेष रूप से वीएल मण्डुआ 400 के परिणामों से प्रेरित हुए, जिसे पारंपरिक स्थानीय किस्मों की तुलना में लगभग 1.5 गुना अधिक अनाज उत्पादन हुआ। कार्यक्रम में रौन गाँव को वीएल मण्डुआ 400 के बीज उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई। कार्यक्रम में डॉ महेंद्र सिंह भिण्डा, डॉ देवेन्द्र शर्मा, डॉ राजेन्द्र मीणा, डॉ कुशाग्रा जोशी तथा ग्रास के निदेशक भूपेंद्र चौहान और हरीश चंद्र पाठक व कृषक मौजूद रहे।