वेतन विसंगति की रिपोर्ट की जाए सार्वजनिक

देहरादून(आरएनएस)।  लंबे समय से वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने की मांग को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने दबाव तेज कर दिया है। अपर मुख्य सचिव कार्मिक आनंद बर्द्धन से मुलाकात में परिषद ने वेतन विसंगति भी दूर कर कर्मचारियों को राहत देने की मांग की।   सचिवालय में एसीएस से मुलाकात में परिषद अध्यक्ष अरुण पांडे ने कहा कि वेतन विसंगति दूर करते हुए वेतन समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। ताकि कर्मचारियों को जो वेतन कम मिल रहा है, वो पूरा मिले। एरियर के रूप में पिछले बकाए का भी भुगतान सुनिश्चित किया जाए। गोल्डन कार्ड में ओपीडी में जन औषधि केन्द्रों से कैशलैश दवा और सुपर स्पेश्लिस्ट पंजीकृत अस्पतालों में कैशलेस जांच की जाए।

राजकीय कार्यों को यात्रा में केंद्र सरकार की भांति 5400 ग्रेड पे प्राप्त कर रहे कर्मचारियों को हवाई यात्रा की सुविधा मंजूर की जाए। एलटीसी में अधिकतम 15 दिन और वास्तविक यात्रा के आधार पर अवकाश की व्यवस्था की जाए। वाहन भत्ता प्रतिमाह 1200 से बढाकर 2500 रुपए किया जाए। विभिन्न विभागों में पदोन्नति सेवा नियमावली एवं पुर्नगठन को मुख्य सचिव के स्तर पर बैठक आयोजित की जाएं। निगम, निकाय, विवि, अशासकीय स्कूलों के कर्मचारियों को राजकीय कर्मचारियों के समान सुविधाएं मंजूर की जाएं। सभी वर्दीधारियों को पुलिस कर्मियो की भांति सुविधाए दी जाएं। पुरानी पेंशन बहाल की जाए। आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाओं को बरकरार रखा जाए। इस दौरान वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरिजेश कांडपाल और प्रवक्ता आरपी जोशी मौजूद रहे।

पदोन्नति में शिथिलता की सुविधा हो बहाल:   परिषद ने पदोन्नति में शिथिलता की सुविधा बहाल करने पर भी जोर दिया। कहा कि 30 जून को ये सुविधा समाप्त हो गई है। चुनावी आचार संहिता के कारण कर्मचारी इसका लाभ नहीं उठा पाए। इसे बहाल किया जाए। 30 जून और 31 दिसम्बर को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को वेतनवृद्वि का लाभ दिया जाए। कार्यभारित कार्मिकों के पेंशन प्रकरणों पर अध्यादेश के द्वारा लगाई गई रोक को हटाते हुए पहले की तरह लाभ मंजूर किया जाए।

निदेशालयों में हो पांच दिन का ऑफिस :   परिषद ने राजधानी के विभागीय निदेशालयों और आयुक्त कार्यालयों में भी सचिवालय की तरह पांच दिवसीय कार्यालय दिवस लागू करने पर जोर दिया। राज्य कर विभाग के पुनर्गठन के बाद राज्य कर अधिकारी के पदों में की जा रही कटौती पर रोक लगाई जाए। छठे वेतन आयोग के आधार पर वेतन प्राप्त कर रहे कार्मिकों को केंद्र की तरह नौ प्रतिशत महंगाई भत्ते में वृद्धि की जाए।