पौड़ी(आरएनएस)। राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय बनास पैठाणी में वर्षा जल संरक्षण पर गुरुवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि धरती पर लगातार पेयजल किल्लत देखने को मिल रही है, इसके समाधान की दिशा में वर्षा जल संरक्षण एक बड़ा कदम साबित होगा। कहा जन जागरूकता से इसमें सामूहिक सहभागिता बढ़ेगी।महाविद्यालय सभागार में आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन प्राचार्य प्रो. डीएस नेगी ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि अनियोजित विकास, बढ़ते कार्बन उत्सर्जन, प्लास्टिक के उपयोग, जंगलों में लगातार लगती आग, वनों के दोहन सहित अनेक कारणों से भू-जल स्तर घटता जा रहा है। जिससे पीने योग्य पानी को लेकर दिन-ब-दिन किल्लत बढ़ती जा रही है। ऐसे में वर्षा जल संरक्षण किया जाना कारगर कदम साबित होगा। कहा जन जागरूकता से सामूहिक सहभागिता को बढ़ाया जा सकता है। कार्यक्रम के सयोजक डॉ. प्रकाश फोंदणी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि हमें वर्षा जल संरक्षण के लिए चाल-खाल आदि का निर्माण करने के साथ-साथ चौड़ी पत्ती वाले पौधों का रोपण करना होगा। जो वर्षा के पानी को लंबे समय तक संचित रखने की क्षमता रखते हैं। साथ ही सूखे चुके जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहा कि चीड़ के जंगलों को बांझ-बुरांस के जंगलों में तब्दील करने से ही भविष्य में पानी की कमी को दूर किया जा सकता है। प्राध्यापक डॉ. सुधीर कोठियाल, डॉ. आलोक कंडारी, डॉ. गौरव जोशी ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर राहुल रावत, अनूप बिष्ट, आशीष कश्यप, पल्लव नैथानी ने विशेष सहयोग प्रदान किया गया।