अल्मोड़ा। राज्य में वनाग्नि की चुनौतियों से समाधान के लिए वनाग्नि की पिछली घटनाओं में आई समस्याओं का ध्यान में रखते हुए आगे की योजनाएं बनानी होगी। वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए जन भागीदारी भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह बात जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने गुरुवार को आयोजित वनाग्नि की मॉक ड्रिल के संबंध में कही। वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए संयुक्त रूप से आयोजित इस मॉक ड्रिल में जनपद के 3 स्थान (बिनसर, बलढोटी तथा सिटोली) चिन्हित किये गये। स्टेजिंग एरिया पुलिस लाइन बनाया गया। वनाग्नि के कारण विभिन्न परिस्थितियों का किस तरह समाधान करना है, रिस्पांस टाइम कम करने, वनाग्नि को रोकने के लिए जन सहयोग और अन्य प्रभावी उपायों पर यह मॉक ड्रिल की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि इस तरह की मॉक ड्रिल से जरूर वनाग्नि के समय उस पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, आईटीबीपी, एसएसबी, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को अल्मोड़ा के वन क्षेत्र में वनाग्नि से निपटने के लिए आयोजित इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य वन क्षेत्र में आग लगने की स्थिति में त्वरित बचाव और राहत कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करना था। मॉक ड्रिल के दौरान एक काल्पनिक स्थिति तैयार की गई, जिसमें घने जंगल में आग लगने की सूचना मिली। सूचना मिलते ही वन विभाग, दमकल कर्मी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तुरंत हरकत में आईं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें आग को नियंत्रित करने के लिए ब्लोअर, वाटर कैनन, फायर बीटर और अन्य उपकरणों का उपयोग करती दिखीं। साथ ही ड्रोन और अन्य निगरानी उपकरणों का उपयोग कर यह देखा गया कि आग किस दिशा में फैल रही है और किन क्षेत्रों में तत्काल राहत पहुंचाने की आवश्यकता है। घायलों को प्राथमिक उपचार देने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी मौजूद रहीं।