उत्तराखंड में कांग्रेस को टार्च लेकर खोजना पड़ेगा वजूद

देहरादून। यदि सब कुछ ऐसा ही चला और कांग्रेस की आपसी रार खत्‍म नहीं हुई तो आने वाले दिनों में उत्तराखंड में कांग्रेस को अपना वजूद टार्च लेकर खोजना पड़ेगा।
आने वाले निकाय व लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा अपने तीरों को दिनोंदिन पैना करने में जुटी हुई है जबकि दिग्गजों की रार के चलते कांग्रेसी तलवार पर जंक के निशान उभरने लगे हैं। भाजपा की चुनावी तैयारियों का सहज अंदाजा इस राजनीतिक हलचल से लगाया जा सकता है कि एक के बाद एक भाजपा के केंद्रीय मंत्री उत्तराखण्ड के सीमांत गांव तक पहुंच रहे हैं। अभी तक दो केंद्रीय मंत्री चमोली व उत्तरकाशी जिले के सीमांत गांवों में ग्रामीणों से रूबरू हो चुके हैं। तीसरे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल 16 अप्रैल को पिथौरागढ़ के सीमांत गुंजी इलाके में स्थानीय लोगों से मिलने आ रहे हैं।
केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत पीएम मोदी अपने मंत्रियों को सीमांत गांवों में भेज रहे हैं। और स्थानीय जनता को केंद्र की योजनाओं के गुण बताने के अलावा उनकी समस्याओं को भी सुन रहे हैं। कुछ दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह हरिद्वार दौरे में पार्टी नेताओं को लोकसभा चुनाव के लिए चार्ज कर गए।
सीएम धामी, प्रदेश संगठन व भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यन्त गौतम लगातार सांसदों, कार्यकर्ताओं व विधायकों के साथ निकाय व लोकसभा चुनाव के बाबत बैठकें कर रहे हैं। हाल ही में भाजपा के बुजुर्ग व पुराने कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया। बीते काफी समय से सीएम धामी जिलों में प्रवास कर स्थानीय मुद्दों पर फीडबैक लेने में जुटे हुए हैं। भाजपा की गतिविधियों को देख कर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी पूरी तरह चुनावी मोड में है।
अब दूसरी तरफ, कांग्रेस कैम्प का सीन देखिये। पार्टी में मची जबरदस्त महाभारत को सुलझाने पार्टी के पर्यवेक्षक पीएल पूनिया के भी जल्द देहरादून पहुंचने की चर्चा है। बीते लम्बे समय से प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, प्रीतम सिंह, हरीश रावत व हरक सिंह रावत एक दूसरे पर खुल कर वार कर रहे हैं। इस बीच, पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ के बयानों ने भी भूचाल ला दिया। बेहड़ ने साफ साफ अपनी उपेक्षा के साथ पार्टी के अंदर गढ़वाल की उपेक्षा को भी हवा दे दी। नतीजतन, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को बेहड़ को मनाने उनके घर तक जाना पड़ा। एक समय प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की जमकर तारीफ करने वाले प्रीतम सिंह खुलकर विरोध में उतर आए हैं। हाल ही में प्रीतम सिंह ने कह दिया कि जिसे राजनीति की एबीसीडी नहीं पता उनको प्रभारी बना दिया।
हरक सिंह रावत ने हरिद्वार संसदीय सीट से ताल ठोक कर पूर्व सीएम हरीश रावत को गंभीर राजनीतिक चुनौती पेश की हुई है। हरक सिंह रावत हरिद्वार लोकसभा में लगातार कार्यक्रम भी कर रहे हैं। अब हरिद्वार में हरीश रावत और हरक सिंह के बीच लोकसभा टिकट की जंग ने पार्टी के अंदर गहरी खाई पैदा कर दी है। इस जंग के माहौल के बीच, कुछ दिन पहले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी दिल्ली में प्रदेश प्रभारी से मिल आए। कांग्रेस संगठन के जिला, नगर व महानगर अध्यक्षों के ऐलान के बाद तो चारों तरफ महाभारत दिख रही है। दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी महारथियों की जंग के चलते कांग्रेस जीती बाजी हार गई। इस हार के बाद क्षत्रपों के गुटीय संघर्ष ने नयी रफ्तार पकड़ ली है।
इस झगड़े को निपटाने के लिए पर्यवेक्षक पीएल पूनिया जल्द ही देहरादून पहुंचेंगे। लेकिन कांग्रेस के दिग्गजों के बीच वे कोई समझौता करा दें, इसकी संभावना बहुत कम है। यूपी में निकाय चुनाव की सरगर्मी जोरों पर है। उत्तराखण्ड में भी नवंबर में निकाय चुनाव होने हैं। भाजपा को घेरने के लिए कांग्रेस के पास बहुत मुद्दे हैं लेकिन फिलहाल तो उत्तराखण्ड कांग्रेस अपने घर के मुद्दों पर ही बुरी तरह उलझ चुकी है। इस उलझी डोर से पार्टी हाईकमान कांग्रेसी पतंग को आसमान की कितनी ऊंचाई तक ले जाती है। यह भी लाख टके का सवाल बना हुआ है।