अल्मोड़ा। पांच दिवसीय लोक भाषा लेखन कार्यशाला से वापस लौटकर डायट प्रवक्ता जी एस गैड़ा ने बताया कि महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी व निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण वंदना गर्ब्याल के नेतृत्व में उत्तराखंड की लोक भाषाओं पर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। अब उत्तराखंड की लोक भाषाएँ कुमाऊंनी, गढ़वाली, जौनसारी एवं रं पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगी। एससीईआरटी द्वारा कार्य योजना तैयार की गई है। प्रथम चरण में गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी एवं रंग से संबंधित पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। बाद में अन्य लोक भाषाओं को भी चरणबद्ध तरीके से सम्मिलित किया जाएगा। पांच दिवसीय कार्यशाला के समापन के अवसर पर निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण वंदना गर्ब्याल ने कहा कि उत्तराखंड की लोक भाषाएँ यहां की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बुनियादी स्तर पर बच्चों को सीखने सिखाने के लिए मातृभाषा के माध्यम की बात करती है तथा बहुभाषिकता पर जोर दिया गया है। इसी संदर्भ में पहले चरण में कक्षा 1 से 5 तक के लिए पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। डायट के प्रवक्ता जी एस गैड़ा ने बताया कि कुमाऊँ मंडल से कुमाउनी पाठ्य पुस्तक निर्माण के लिए डॉक्टर दीपक मेहता को संयोजक नियुक्त किया गया है।