लखनऊ (आरएनएस) । यूपी लोकसभा नतीजों ने बीजेपी ही नहीं देश के सभी लोगों को चौंका दिया। यूपी में मोदी- योगी की जोड़ी का मैजिक नहीं चला। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में जहां योगी राज है, वहां बीजेपी सिर्फ 33 सीटें ही ला पाई। यूपी में बीजेपी की शिकस्त के पीछे महिलाओं की पार्टी से नाराजगी है। तभी तो प्रदेश की 17 महिला बहुल वोटर सीटों में से 12 सीट पर इंडिया अलायंस ने जीत का परचम लहराया।
बीजेपी ने महिलाओं के लिए तीन तलाक, उज्ज्वला योजना, हर घर शौचालय और सुकन्या समृद्धि जैसे अनेक काम किए। लेकिन बीजेपी के ये काम वोट में नहीं बदल पाए। यूपी में बीजेपी महिलाओं को अपनी तरफ नहीं ला पाई। प्रदेश की योगी सरकार ने तो लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन भी किया था। कोरोना के समय महिलाओं के बैंक खातों में तीन बार पांच सौ रुपये भी भेजे गए। लेकिन ये सभी काम वोट में तब्दील नहीं हो पाए।
प्रदेश की महिला बहुल सीटों से राहुल गांधी रायबरेली से 3। 9 लाख और अमेठी से किशोरी लाल शर्मा 1। 6 वोटों के अन्तर से जीते। बाकी की 10 सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा। इन सीटों में सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, अम्बेडकर नगर, बस्ती, संत कबीर नगर, आजमगढ़, जौनपुर, सलेमपुर, लालगंज और मछलीशहर शामिल हैं।
17 में बची बाकी की पांच सीटों डुमरियागंज, देवरिया, कुशीनगर, बांसगांव और महाराजगंज पर बीजेपी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की।
यूपी में बीजेपी अपना किला नहीं बचा पाई। यूपी में सपा को 37, कांग्रेस को 6 और बीजेपी को सिर्फ 33 सीटें ही मिली। ज्यादातर सीटों पर महिलाओं ने बीजेपी के बजाय विपक्षी दलों के उम्मीदवार को चुना है। ऐसे में यह सोचना बहुत जरूरी हो जाता है कि आखिरकार महिलाओं ने बीजेपी को वोट क्यों नहीं दिया। बीजेपी को हिन्दी राज्यों में करारी हार का सामना करना पड़ा है, यूपी में महिलाओं ने बीजेपी की उम्मीदों के मुताबिक वोट नहीं किया।
यूपी में महिलाओं ने बीजेपी को किया साइड; चुना साइकिल और हाथ का साथ, 17 में से 12 सीटें जीता दीं
