अल्मोड़ा। छंजर सभा अल्मोड़ा का रजत जयंती समारोह रविवार को शहर के प्रतिष्ठित लक्ष्मी भंडार हुक्का क्लब में उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर दो सत्रों में आयोजित कार्यक्रम में कुमाउनी भाषा-साहित्य के विभिन्न पक्षों पर विमर्श हुआ और कवियों ने अपनी स्वरचित रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर किया। समारोह के पहले सत्र में ‘अल्मोड़ा की साहित्यिक परंपरा’ विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई। वरिष्ठ कुमाउनी कवि दीपक कार्की की अध्यक्षता में आयोजित इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिष्ठित कुमाउनी विद्वान डॉ हयात सिंह रावत मौजूद रहे। गोष्ठी की शुरुआत डॉ महेंद्र महरा ‘मधु’ के वक्तव्य से हुई, जिन्होंने छंजर सभा के 25 वर्षों की साहित्यिक यात्रा को रेखांकित करते हुए कविता की समृद्ध परंपरा पर विस्तार से चर्चा की। प्रो. दिवा भट्ट ने गुमानी से लेकर गोर्दा, गिरदा, चारु चंद्र पांडेय, शेरदा अनपढ़, मोहम्मद अली अजनवी और बालम सिंह जनोटी जैसे साहित्यकारों का स्मरण किया। नवीन बिष्ट ने जनोटी द्वारा बसंत पंचमी पर आयोजित कुमाउनी काव्य गोष्ठियों की परंपरा को याद किया। दयाल पांडेय ने ‘किताब कौतिक डीडीहाट’ का उल्लेख करते हुए 6, 7 और 8 जून 2025 को आयोजित होने वाले आयोजन में सभी को आमंत्रित किया। मुख्य अतिथि डॉ रावत ने रचनाकारों से अपील की कि वे बच्चों से कुमाउनी में संवाद करें और विभिन्न विधाओं में सृजनात्मक लेखन को बढ़ावा दें। समारोह का दूसरा सत्र कवि सम्मेलन को समर्पित रहा, जिसमें 25 कवियों ने अपनी कविताएं, गीत, ग़ज़ल और कुमाउनी ग़ज़लें प्रस्तुत कीं। काव्य पाठ करने वाले प्रमुख कवियों में विपुल जोशी, डॉ धाराबल्लभ पांडे, कमला बिष्ट, प्रेमा गड़कोटी, मीनू जोशी, दयाल पांडेय, ध्रुव टम्टा, रमेश लोहुमी, डॉ मधु महरा, बिपिन चंद्र जोशी आदि शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन ‘पहरू’ पत्रिका के संपादक नीरज पंत ने किया।