अल्मोड़ा/ द्वाराहाट: कत्यूरकाल में शुरू ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती कौतिक (मेला) अपने पुराने गौरव को हासिल करने की राह चल पड़ा है। करीब 64 वर्ष पूर्व मेले से अलग हुए ईड़ा, जमीनी वार व पार ग्राम पंचायतें पुन: लोक परंपरा का हिस्सा बनेंगी। खास बात कि छह दशक पहले की तरह तीनों ग्रामसभाओं के रणबांकुरे नगाड़े निषाण लेकर 30 किमी का सफर तय कर ओढ़ा भेंटने की रस्म निभाएंगे। यानि अबकी कौतिक में तीन गांवों की संख्या बढ़ जाएगी। कुछ और ग्राम पंचायतों के भी लोक परंपरा से जुडऩे की उम्मीद है। इसी के साथ आज शिव धाम विमंडेश्वर महादेव मंदिर में स्याल्दे विखोती मेले का पूजा पाठ तथा रंगारंग कार्यक्रमों के साथ शुभारंभ हुआ। मेले में मुख्य अतिथि द्वाराहाट के उपजिलाधिकारी जयवर्धन शर्मा व ब्लॉक प्रमुख दीपक किरोला, विधायक प्रतिनिधि नारायण सिंह रावत उपस्थित थे। आज के उद्घाटन में निकटवर्ती ग्राम सभा रणा के ढोल दमुआ, नगाड़े निशानों के साथ उद्घाटन मेले में सम्मिलित हुए।
बताते चलें कि वर्ष 1958 की बिखौती के बाद नौज्यूला धड़े की ईड़ा, जमीनीवार व पार ग्राम पंचायतें मेले से अलग हो गई थी। मगर इस बार तीनों के गांवों के बुजुर्गों व प्रतिनिधियों ने एक बार फिर लोक परंपरा का अभिन्न हिस्सा बनने का फैसला लिया है। अब गांवों की संख्या बढकर 35 से 38 हो जाएगी। इसका खुलासा करते हुए मेला समिति व नगर पंचायत अध्यक्ष मुकेश साह ने कहा कि ग्राम प्रतिनिधियों से बात हो गई है। बैसाख के अंतिम गते 14 अप्रैल को बाटपुजै (छोटी स्याल्दे) के बाद ओड़ा भेटने के लिए नौज्यूला धड़े के साथ पहुंचेंगे। मेला समिति अध्यक्ष ने कहा कि अन्य धड़ों से छूट गए गांवों को भी मेले से पुन: जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस मामले में ईड़ा के ग्रामप्रधान ने कहा कि स्याल्दे मेला प्रमुख रूप से तल्ला, बिचल्ला व मल्ला दोरा की पहचान है। अपनी संस्कृति को सहेजने व संवारने के मकसद से आम सहमति के बाद 64 वर्षों के बाद पुन: स्याल्दे मेले का हिस्सा लेने का निर्णय लिया गया है। इस मेले की पहचान पूर्व से ही संस्कृति के ध्वजवाहक के तौर पर रही है। इस धरोहर को जिन्दा रखने के लिए सभी को आगे आना होगा। उद्घाटन समारोह में उपजिलाधिकारी जयवर्धन शर्मा, नगर पंचायत अध्यक्ष मुकुल साह, विधायक प्रतिनिधि नारायण सिंह रावत, आशुतोष लोहनी, एडवोकेट हेम रावत, निरजा जोशी आदि उपस्थित रहे।
(रिपोर्ट: मनीष नेगी, द्वाराहाट)