सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा में तीन दिवसीय ‘प्लांट टैक्सोनॉमी असेसमेंट एंड स्टैटिस्टिकल एनालिसिस’ प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ उद्घाटन

वनस्पति विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा और जी.बी.पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल के संयुक्त तत्वावधान में प्रशिक्षण कार्यक्रम

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना परिसर, अल्मोड़ा के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा गोविंद बल्लभ पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट कोसी कटारमल, सेंटर फॉर बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट और नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज के सहयोग से तीन दिवसीय ‘प्लांट टैक्सोनॉमी असेसमेंट एंड स्टैटिस्टिकल एनालिसिस’ विषय पर प्रशिक्षण कोर्स का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर नीरज तिवारी, मुख्य अतिथि के रूप में जी.बी.पंत संस्थान के निदेशक डॉक्टर आर. एस. रावल, अतिथि रूप में शोध एवं प्रसार निदेशालय के निदेशक प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट, कार्यक्रम के संयोजक डॉ. बलवंत कुमार व डॉ.के. सी. सेकर, कार्यक्रम के व्यवस्थापक डॉ. धनी आर्य, डॉ सुबोध ऐरी, डॉ. मंजुलता उपाध्याय ने दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया। उसके उपरांत विभाग की छात्राओं ने स्वागत गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही अतिथियों को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक और वनस्पति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.बलवंत कुमार ने कहा कि हम इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत वनस्पतियों की पहचान, वर्गीकरण एवं उनकी विशेषता आदि को जानेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों संस्थाएँ मिलकर यह कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं, जिसका लाभ हमारे विद्यार्थियों को मिलेगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से क्षेत्र की जैव विविधता और अपने आस-पास की वनस्पति के संबंध में जानकारी प्राप्त करेंगे। उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को आज वनस्पतियों की जानकारी होनी चाहिए। हमें जैव विविधता को बनाये रखने के लिए प्रयास करना होगा। साथ ही उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया।

जी बी पंत संस्थान के वैज्ञानिक और संयोजक डॉ.के.चंद्र सेकर ने इकोलॉजी, प्लांट टैक्सोनॉमी आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी और ट्रेनिंग कार्यक्रम की विस्तार से रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि गोविंद बल्लभ पंत, राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान और वनस्पति विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना परिसर ने एक साथ मिलकर यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया है।

अतिथि रूप में शोध एवं प्रसार निदेशालय के निदेशक प्रोफेसर जगत सिंह बिष्ट ने शोध के विषय में विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा कि शोध को हम रिसर्च कहते हैं और रिसर्च-री और सर्च से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है पुनः खोज। हम अपने आस-पास देखें और जानकारी एकत्रित करें। वास्तविक रूप से यही शोध है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकतर विद्यार्थी ग्रामीण इलाकों से संबंधित हैं। ग्रामों से आये हुए विद्यार्थियों को अपने आस-पास की वनस्पतियों की जानकारी होती है, क्योंकि वो प्रकृति के ज्यादा नजदीक रहते हैं। उन्हें अपने आस-पास की जैव विविधता पर अध्ययन करने की जरूरत पर बल दिया। प्रोफेसर बिष्ट ने कहा कि ऐसा शोध करें कि जिससे हमारे विश्वविद्यालय का नाम रोशन हो और आपके शोध कार्य का लाभ जनमानस को मिले। इसके लिए उत्कृष्ट शोध करने की जरुरत है। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजकों को अपनी बधाइयाँ देते हुए कहा कि पर्यावरण चिंतन के लिए ऐसे कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित होने चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य मुख्य अतिथि के रूप में गोविंद बल्लभ पंत, हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल के निदेशक डॉ.आर. एस. रावल ने कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के वनस्पति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में टैक्सोनॉमी, वेजिटेशन असेसमेंट और सांख्यिकी विश्लेषण विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाने पर हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजकों और सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भंडारी के प्रयासों की सराहना की और उनके प्रति आभार जताया। डॉ. रावल ने कहा कि गोविंद बल्लभ पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान में इस परिसर के छात्रों का स्वागत है। भविष्य में भी हम मिलकर कार्य करेंगे।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के विषय पर बात रखते हुए उन्होंने कहा कि वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थियों को इस ट्रेनिंग प्रोग्राम से विभिन्न प्रकार के पौधों, पौधों की प्रजाति, उनकी विशेषताओं तथा वर्गीकरण आदि के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। चूंकि यह विषय वैश्विक विषय है। जिसका शोधकों को भविष्य में लाभ मिलेगा।
उन्होंने आगे कहा कि अब प्रकृति के साथ विद्यार्थियों और जनमानस का जुड़ाव कम हो रहा है। हम प्रकृति से नहीं जुड़ पा रहे हैं। आज विद्यार्थी भी ग्रामीण परिवेश से आने के बाद भी ग्रामों के आस-पास की वनस्पति के बारे में नहीं जानते। हम क्यों ऐसे प्रकृति और पर्यावरण से दूर हो रहे हैं? इसके लिए हमें सभी की जिज्ञासा को बढ़ाना होगा।
हिमालयी पर्यावरण पर अपनी चिंता जताते हुए कहा कि जलवायु और जैव विविधता पर परिवर्तन होना चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र के तापक्रम बढ़ने की दर निरंतर बढ़ रही है। हम जैसे जैसे ऊंचाई के क्षेत्रों को बढ़ रहे हैं तो तापक्रम भी बढ़ रहा है। जिससे जैव विविधता और पर्यावरण खतरे में पड़ गया है। ये हमारे लिए शुभ संकेत नहीं हैं। हमें पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर संवेदनशीलता के साथ कार्य करना होगा।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर नीरज तिवारी ने कहा कि गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी और सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा के बीच इस तरह का कार्यक्रम आयोजित होना हमारे और हमारे विद्यार्थियों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जी. बी. पंत संस्थान और उनके वैज्ञानिकों का कई दशकों के अनुभव रहा है। जिसका लाभ हमें मिलता रहे। उन्होंने कहा कि हमारे शोध ग्रमीण क्षेत्रों की तरफ होना चाहिए। हमें इससे सीखने को मिलता है। हम इस कार्यक्रम से वनस्पतियों के नाम, उनकी विशेषता, वनस्पतियों के सांख्यिकी विश्लेषण की जानकारी पाएंगे। हम ग्राम क्षेत्रों में जाकर वनस्पतियों पर शोध करें और वहां के जनमानस से उन वनस्पतियों के बारे में जानकारी संकलित करें।
विद्यार्थियों के संबंध में कहा कि हमें विद्यार्थियों में शोध के क्षेत्र में आने के लिए जिज्ञासा को बढ़ाना होगा। हम विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से जानकारी ग्रहण कर सकते हैं। उनके अनुभवों का लाभ ले सकते हैं। हम नई वनस्पतियों को खोजें, उनके वैज्ञानिक नामों को जानें और उनकी विशेषताओं से परिचय प्राप्त करें।
शोध में सांख्यिकी विश्लेषण की महत्ता पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि शोध में सांख्यिकी विश्लेषण बहुत महत्त्वपूर्ण है। यदि सांख्यिकी विश्लेषण सही नहीं किया गया है तो शोध पत्र की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और शोध अपूर्ण रह जाता है। अब सांख्यिकी विश्लेषण के लिए कई सॉफ्टवेयर आ गए हैं। उनकी विस्तार से जानकारी हो तो तभी हम उनका प्रयोग अपने शोध में कर सकते हैं।
उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत संस्थान के निदेशक डॉ. रावल के अनुरोध को स्वीकारते हुए कहा कि हमारे संस्थान के विद्यार्थी आपके संस्थान के सहयोग से वनस्पति और पर्यावरण के विषय में जानकारी ग्रहण करेंगे।
इसके उपरांत तकनीकी सत्र का संचालन किया गया, जिसमें जी बी पंत संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. के. चन्द्र शेखर और डॉ. विक्रम सिंह नेगी ने वनस्पति की पहचान, विशेषता, वनस्पति पर्यावरण, वर्गीकरण आदि पर अपने व्याख्यान दिए।

कार्यक्रम का संचालन डॉ मंजुलता उपाध्याय द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. धनी आर्या, डॉ. ललित चंद्र जोशी, डॉ मनीष त्रिपाठी, जोया साह, कपिल बिष्ट, पूनम मेहता, तनुजा जोशी सहित वनस्पति विज्ञान विभाग के शिक्षक, शोधार्थी, छात्र-छात्राएं शामिल हुए।