सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन पर संकट के बादल

देहरादून(आरएनएस)।   उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मध्याह्न भोजन के लाले पड़ सकते हैं। इसके पीछे की वजह स्कूलों का लापरवाही भरा रवैया है। 70 प्रतिशत से अधिक स्कूल एमडीएम का ब्योरा देने को तैयार नहीं है। जिसके चलते अगले बजट में भारी कटौती का सामना करना पड़ सकता है। मंगलवार को ही छह जिलों के 7296 स्कूलों में से केवल 2018 ने ही ये जानकारी दी कि उन्होंने कितने बच्चों को एमडीएम खिलाया है। सबसे ज्यादा खराब हाल नैनीताल जिले का है। ब्योरे के आधार पर मिलता है बजट : शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, मध्याह्न भोजन योजना के लिए हर साल डिमांड की जाती है। ये डिमांड प्रत्येक स्कूल में सालभर बनाए गए भोजन, लाभार्थी बच्चों की संख्या और खाद्य सामग्री के आधार पर बनाई जाती है। अधिकारियों का कहना है कि यदि इसी तरह एमडीएम की जानकारी देने में लापरवाही बरती गई तो आगामी बजट गड़बड़ा सकता है।

ब्योरा देने वाले स्कूल
जिला     स्कूल         ब्योरा दिया
अल्मोड़ा     1732     505
बागेश्वर    778   226
चम्पावत      672   512
नैनीताल   1398     182
पिथौरागढ़   1485   307
यूएस नगर   1231     286

एमडीएम का ब्योरा न देने वाले अधिकांश स्कूल दूर-दराज के हैं। नैनीताल में रामगढ़ और धारी तो पिथौरागढ़ जिले में धारचूला क्षेत्र में वैसे तो काफी स्कूल संचालित होते हैं। नैनीताल जिले के एमडीएम प्रभारी बंशीधर कांडपाल ने बताया कि स्कूल इसके पीछे मोबाइल नेटवर्क की समस्या को वजह बता रहे हैं।

प्रदेश में जिन स्कूलों में एमडीएम बनता है, वहां का ब्योरा प्रतिदिन उपलब्ध कराना जरूरी है। लापरवाही करने वाले जिलों से कारण पूछा जाएगा।    – डॉ. मुकुल कुमार सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखंड।