ऋषिकेश में हुआ अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आगाज

ऋषिकेश(आरएनएस)।  ऋषिकेश में मुनिकीरेती स्थित गंगातट पर शनिवार को सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आगाज हो गया। गढ़वाल मंडल विकास निगम के तत्वावधान में आयोजित योग महोत्सव का शुभारंभ वन मंत्री सुबोध उनियाल, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष चिदानंद सरस्वती और एमडी जीएमवीएन विशाल मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया। वन मंत्री ने कहा कि ऋषिकेश और आसपास का क्षेत्र योग का प्रमुख केंद्र है। उत्तराखंड और हिमालय योग की जननी है। योग के माध्यम से ऋषिकेश ने पूरे विश्व को योग शिक्षा का संदेश दिया है। वन मंत्री उनियाल ने कहा कि योग परमात्मा की प्राप्ति का साधन है। योग हमारी आत्मा है और योग राष्ट्रवाद का प्रतीक भी है। नई शिक्षा नीति में भी योग को एक विषय के रूप में स्वीकार किया गया है। उच्च शिक्षा में भी इसे शामिल किया गया है। कहा कि योग मनुष्य को स्वस्थ रखने का साधन नहीं, बल्कि यह रोजगार का भी एक सशक्त माध्यम बना है। पूरे विश्व में हमारे देश के योग साधक लोगों को योग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी योग के महत्व को स्वीकार किया है। यहीं कारण है कि हर वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग को पूरे विश्व तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारे लिए ग्लोबल वार्मिंग सबसे बड़ी चुनौती है। अगर गंगा सूख गईं तो समझो भारत की आत्मा ही सूख जाएगी। ग्रैंड मास्टर अक्षर ने कहा कि योग व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से बदलने में समर्थ है। योगी के शरीर, मन और आत्मा में विशेष ऊर्जा होती है। अपर सचिव पर्यटन अभिषेक रोहिला ने मुख्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि उत्तराखंड को योग की वैश्विक राजधानी के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव 1 से 7 मार्च तक गंगा के पवित्र तट पर आयोजित किया जा रहा है। इस अवधि में देश-विदेश से आये सुविख्यात योगाचार्यों द्वारा साधकों को योग का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

योग से बदल सकते हैं खुद की जीवन शैली: चिदानंद
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिंदानन्द मुनि ने कहा कि कोविड के दौरान लोग योग के महत्व को समझ गये थे, जो काम दवाइयां नहीं कर पाई वह योग और प्रणायाम ने कर दिखाया। हम योग और यौगिक लाइफ से स्वयं को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वर्गाश्रम, तपोवन और मुनिकीरेती तीन जनपदों की त्रिवेणी है। इन तीन जगहों पर जितने योगा सेन्टर हैं उतने दुनिया में कहीं नहीं हैं। उन्होंने कहा कि योग सबके साथ खड़े होने का संकल्प है। देव संस्कृति विवि के उप कुलपति डॉ. चिन्मय पाण्डया ने कहा कि योग भारतीय ज्ञान-विज्ञान का सर्वोच्च शिखर है, जिसको छूने से हम अपनी सम्भावनाओं के द्वार खोलते हैं। योग का असली पथ हमारी चित्त वृत्तियों का निरोध करना है। उन्होंने कहा कि ज्ञान-विज्ञान कि धाराएं प्राचीन काल से इसी देवभूमि में बही हैं। ज्ञान की यह धारा ईश्वरीय चेतना में एकाकार होने के लिए निकलती है।

जंक फूड सेहत के लिए खतरनाक: डॉ. भानु
डॉ. भानू दुग्गल कार्डियोलोजिस्ट एम्स ऋषिकेश ने कहा कि योग पूरी तरह से एक जीवन पद्धति का नाम है भारत में जंकफूड के कारण हृदय रोग और किडनी के रोग तेजी से फैल रहे हैं। इन रोगों के मरीज भारत में अन्य देशों की तुलना में सर्वाधिक हैं। जंक फूड के खतरे को भांपते हुए अमेरिका ने जंक फूड को प्रतिबंधित कर दिया है उन्होंने कम उम्र के बच्चों में हार्ट अटैक होने के पीछे जंक फुड को ही प्रमुख कारण माना है।

पहले दिन चली अध्यात्म और साधना की कक्षाएं
सात दिवसीय योग महोत्सव के पहले दिन अध्यात्म और साधना की कक्षाएं चलीं, जिसमें योग व्याख्यान और शारीरिक क्रियाएं की गई। योग महोत्सव में गंगा आरती भी आकर्षण का केंद्र रही। रविवार को योगाचार्य साधकों को योग कक्षाएं चलाकर योगिक क्रियाएं करवाएंगे। महोत्सव में प्रतिदिन उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन परोसे जाएंगे।