अल्मोड़ा। आज यहां उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों ने गांधी पार्क में क्षैतिज आरक्षण बहाल करने, राज्य आंदोलनकारियों को 15000 रुपये मासिक पेंशन दिये जाने सहित अनेक मांगों को लेकर धरना दिया तथा सभा की। सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि राज्य बनने के 21 वर्षो के बाद भी न तो राज्य आंदोलनकारियों,शहीदों के सपनों के अनुरूप राज्य की दिशा दशा तय हो पायी और न ही राज्य आंदोलनकारियों को वह सम्मान मिल पाया जिसके वे हकदार हैं। राज्य बनने के बाद जहाँ अधिकारियो को प्रमोशन के अवसर प्राप्त हुए तथा अनेक नेताओं को विधायक मंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ वहीं राज्य आंदोलनकारी चिन्हीकरण किये जाने तथा सरकार द्वारा घोषित सुविधाओ का समुचित लाभ दिये जाने की मांग के लिए आज भी आन्दोलन करने को मजबूर हैं। इस अवसर पर मुख्यमन्त्री को लिखे एक पत्र में राज्य आंदोलनकारियों ने राज्य आंदोलनकारियों एवं आश्रितों को पूर्व मे दिए गये क्षैतिज आरक्षण को विधानसभा मे विधेयक लेकर बहाल करने, राज्य आंदोलनकारियों को 15000 रुपये मासिक पेंशन दिए जाने, चिन्हीकरण प्रक्रिया पुनः शुरू किये जाने, मृत राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी राज्य आंदोलनकारियों को दी जा रही सुविधाओं का लाभ दिये जाने, राज्य की स्थाई राजधानी शीघ गैरसैण मे स्थापित किये जाने, राज्य में एक सशक्त भूकानून बनाये जाने, राज्य के किसानों को जंगली जानवरों, आवारा पशुओं से हो रहे भारी नुकसान को देखते हुए पशु नियंत्रण के प्रभावी उपाय किये जाने तथा आर्थिक नुकसान की सरकार द्वारा भरपाई किये जाने की मांग राज्य आंदोलनकारियों ने ज्ञापन मे की है। राज्य आंदोलनकारियों ने राज्यआंदोलनकारियों को राज्य सेनानी का दर्जा देते हुए उन्हें जिला योजना समिति जिला पंचायत तथा अन्य संसाथो मे सदस्य नामित कर राज्य विकास मे भागीदार बनाये जाने की भी मांग की है। धरने में ब्रहमानंद डालाकोटी, महेश परिहार, शिवराज बनौला, दौलत सिंह बग्ड्वाल, शंकर दत्त डालाकोटी, नवीन डालाकोटी, मोहन सिंह भैसोडा, गोपाल ब्नौला, पूरन सिंह बनौला, हेमचन्द्र जोशी, गोविन्द राम, दीवान सिंह, तारा राम, कैलाश राम, कृष्ण चन्द्र, कैलाश राम, मदन राम, गोपाल गैडा, रमेश सिंह सहित अनेक लोग उपस्थित थे।