देहरादून। पुरानी पेंशन बहाली को सभी कर्मचारी संगठन लामबंद हो गए हैं। दिल्ली में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर निकाली गई रैली में उमड़ी भीड़ से कर्मचारी संगठन उत्साहित हैं। उत्तराखंड के भीतर कर्मचारी संगठन भी आंदोलन तेज करने जा रहे हैं। सरकार पर दबाव बनाने को लेकर राज्य में चरणबद्ध अभियान तेज किया जाएगा। दिल्ली से लेकर राज्य के भीतर पहले राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा और फिर राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन संगठन की रैली में कर्मचारियों की भीड़ जुटा कर केंद्र पर दबाव बनाया गया। इन दोनों संगठनों के बैनर तले राज्य के भीतर भी लगातार अभियान जारी हैं। एक अक्तूबर को ही काला दिवस मनाया गया। अब इन दोनों संगठनों के बैनर तले राज्य के कर्मचारी संगठन भी लामबंद भी हो गए हैं। एक अक्तूबर 2005 के बाद के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। इसके बावजूद पुरानी पेंशन बहाली की मुहिम में 2005 से पहले वाले कर्मचारी भी एकजुट हो गए हैं। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के प्रदेश अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने कहा कि अब केंद्र और राज्य सरकार को कर्मचारियों की ताकत को समझ लेना चाहिए। कई राज्यों के चुनावी नतीजे भी कर्मचारियों की इसी ताकत को अहसास कराने को काफी हैं। ऐसे में अभी भी समय है कि लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन बहाली का फैसला ले लिया जाए। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि प्रदेश भर के कर्मचारियों की इस समय सिर्फ पुरानी पेंशन बहाली ही एकमात्र सबसे बड़ी मांग है। इस मांग को नजरअंदाज करने का सीधा असर चुनाव नतीजों पर पड़ेगा। इस बार ये मुहिम पेंशन बहाली होने तक जारी रहेगी।