प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, अभिभावकों की जेब पर पड़ रही भारी

देहरादून(आरएनएस)। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान हैं। नया सत्र शुरू होते ही शहर के कई निजी स्कूलों ने एक बार फिर फीस बढ़ा दी है। यह बढ़ोतरी दस फीसदी तक है। निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने की कोशिशों में लगे अभिभावकों को झटका लगा है।  निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावकों के साथ छात्रों पर भी असर पड़ रहा है। दून में बसंत विहार स्थित एक स्कूल में पिछले साल तक छठी कक्षा के छात्र की फीस पांच हजार रुपये मासिक थी। मगर, इस साल स्कूल ने अचानक फीस बढ़ा दी।
डालनवाला स्थित एक स्कूल में कक्षा नौ के छात्र की तीन महीने की फीस बीस हजार थी, अब इसमें एक हजार रुपये की वृद्धि कर दी गई। स्कूल मेंटीनेंस, स्कूल वाहन, कंप्यूटर के साथ ही ट्यूशन फीस के नाम पर यह बढ़ोतरी की गई। अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन के सामने अपना विरोध भी दर्ज कराया। लेकिन उन्हें कोई अपेक्षित जवाब नहीं मिला। वहीं दूसरी ओर, ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन की प्रांतीय अध्यक्ष भूमिका यादव ने कहा है कि प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ोतरी का विरोध किया जाएगा। नवविहान ट्रस्ट की संस्थापक डॉ. ज्योति श्रीवास्तव के अनुसार, शिक्षा विभाग के अफसरों संग बैठक में मुद्दे को उठाया था, मगर स्कूलों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

स्कूलों से चल रहा किताबों और यूनिफार्म का कारोबार
आरोप है कि कुछ स्कूलों का दबाव है कि वह या तो अपने परिसर से बच्चों को पुस्तक और यूनिफार्म उपलब्ध कराएंगे। या फिर अभिभावकों को उनकी बताई दुकानों पर जाकर किताबें लेनी होंगी, जहां मनमाने दामों पर किताबें लेनी पड़ रही हैं।
नवविहान ट्रस्ट की संस्थापक अध्यक्ष डॉ.ज्योति श्रीवास्तव बताती हैं कि खुले बाजार में ये ही किताबें प्रिंट रेट से भी कम दाम में मिलती हैं। मगर स्कूलों से तय दुकानों में यही किताबें भारी दामों में लेनी पड़ रही हैं। अनेक अभिभावकों ने उनसे अपनी परेशानी रखी है। उन्होंने बताया कि हर साल कोर्स बदलने से अभिभावकों को नई किताबें लेनी पड़ रही हैं।

अफसर चुनावों में व्यस्त और स्कूलों में मनमानी
अभिभावकों का कहना है कि अफसर इन दिनों चुनाव में व्यस्त हैं। मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत का कहना है कि उनके पास निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को लेकर अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर ही कार्रवाई की जा सकेगी।