देहरादून(आरएनएस)। प्रदेश का जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ भी क्लस्टर स्कूलों के विरेाध में खुकर आगे आ गया। सोमवार को संघ के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव के कार्यालय में क्लस्टर स्कूलों के विरेाध में ज्ञापन सौंपे। इससे पहले राजकीय शिक्षक संघ और प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रांतीय तदर्थ कमेटी भी विरोध कर चुकी है। सोमवार को संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा और महामंत्री जगवीर खरोला ने सचिवालय आकर विभिन्न कार्यालयों में ज्ञापन सौंपे। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा और रोजगार के हितों को देखते हुए बेसिक से लेकर माध्यमिक स्तर तक विद्यालय स्थापित किए गए थे। लेकिन अब क्लस्टर स्कूलों के नाम पर नया प्रयोग किया जा रहा है। यह सीधा सीधा सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश है। क्लस्टर योजना शिक्षा के अधिकार अधिनियम का खुला उल्लंघन है। पलायन और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वैसे ही प्रदेश में छात्र संख्या कम होने के कारण कई विद्यालय बंद हो चुके हैं। इससे शिक्षकों के पदोन्नति के अवसर समाप्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि क्लस्टर स्कूल योजना को तत्काल बंद किया जाना चाहिए। यदि ऐसा न किया गया तो संघ आंदोलन करने को मजबूर होगा। 1248 क्लस्टर स्कूल हैं राज्य में प्रस्तावित राज्य में माध्यमिक स्तर पर 559 और बेसिक स्तर पर फिलहाल 679 क्लस्टर (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) बनाए जाने हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-एनईपी के तहत क्लस्टर स्कूलों की अवधारणा इन स्कूलों का निर्माण किया जा रहा है। इनका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और संसाधनों का प्रभावी उपयोग करना है। इसके तहत एक मुख्य विद्यालय को केंद्र बनाकर आसपास के छोटे विद्यालयों को इससे जोड़ना है ताकि निकटवर्ती विद्यालय शिक्षक, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, खेल सामग्री जैसे संसाधनों को साझा कर सकें। इससे छात्रों को समान अवसर मिल सकेंगे। राज्य में क्लस्टर विद्यालय विकसित किये जाने का उद्देश्य निकटवर्ती विद्यालयों को बन्द करना नहीं है।
‘क्लस्टर स्कूलों का निर्माण एनईपी के तहत शैक्षिक गुणवत्ता के संवर्द्धन के लिए किया जा रहा है। क्लस्टर योजना के तहत प्रदेश में एक भी स्कूल को बंद नहीं किया जाएगा। यदि किसी स्कूल में एक भी छात्र है तो वह स्कूल पूर्ववत चलता रहेगा। – डॉ. धन सिंह रावत, शिक्षा मंत्री’