अल्मोड़ा। गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी-कटारमल अल्मोड़ा के जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में ग्राम बिसरा, हवालबाग में जागरूकता शिविर तथा औषधीय प्रजाति वन हल्दी का रोपण किया गया। केन्द्र प्रमुख डॉ आई डी भट्ट के दिशा निर्देशन में केन्द्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस वर्ष के विषय ‘भूमि पुर्नस्थापन मरूस्थलीकरण एवं सूखे से बचाव’ के अन्तर्गत कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सतीश आर्या द्वारा पर्यावरण संरक्षण के महत्व तथा वनाग्नि, मरूस्थलीकरण जैसे ज्वलंत विषयों पर चर्चा की। उन्होने कहा कि वनाग्नि द्वारा प्रतिवर्ष हिमालयी क्षेत्र के वनों को भारी नुकसान पहुच रहा है। साथ ही डॉ आर्या ने औषधीय पादपों की कृषि द्वारा आजीविका वृद्धि पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विभिन्न औषधीय प्रजातियों जैसे तिमुर, रोजमैरी, तथा वन हल्दी आदि की खेती तथा बिक्री द्वारा आजीविका वृद्धि की जा सकती है। कार्यक्रम के दौरान ग्रामीण महिलाओं के साथ कृषि तथा जल स्रोतों के सूखने जैसी समस्याओं पर विचार विमर्श किया गया। इस दौरान ग्रामीणों द्वारा संस्थान के सहयोग से वन हल्दी तथा रोजमैरी का रोपण किया गया। कार्यक्रम में डॉ सतीश आर्या, हिमानी तिवारी, हरिप्रिया, जगदीश सिंह आदि मौजूद रहे।