अल्मोड़ा। नगर के एक होटल में हाइकोर्ट को ऋषिकेश शिफ्ट करने के विरोध में एक वार्ता का आयोजन किया गया। बैठक का आयोजन डॉ वी डी नेगी व सामाजिक कार्यकर्ता विनय किरौला के द्वारा सयुक्त रूप से किया गया। वार्ता की अध्यक्षता आनंद सिंह बगडवाल द्वारा की गई। वार्ता का आरंभ करते हुए वार्ता के सयोजक विनय किरौला द्वारा विचार रखते हुए कहा गया कि राज्य की स्थापना के समय कुमाऊँ व गढ़वाल में संस्थाएं बराबर बंटनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि ये हाइकोर्ट की शिफ्टिंग नहीं कुमाऊँ से हज़ारों रोजगार की शिफ्टिंग है। सरकार एक और नया शहर विकसित करना चाहिए। हाइकोर्ट गौलापार जाने से एक नई सिटी बन जाएगी। उपपा के पीसी तिवारी ने हाइकोर्ट शिफ्टिंग को हिमालय राज्य की अवधारणा पर कुठाराघात बताया। उत्तराखंड लोक वाहिनी के पूरन चंद्र तिवारी ने कहा कि गैरसैण राज्य के मध्य में स्थित है स्थाई राजधानी व हाईकोर्ट गैरसैण में होने पर कुमाऊँ व गढ़वाल का सामान रूप से विकास होगा। कार्यक्रम के सहसंयोजक डॉ वी डी एस नेगी ने कहा कि हाइकोर्ट शिफ्टिंग को लेकर जनमत संग्रह की बात कही है वो किस के आदेश पर की गई है उनके खिलाफ विधायी करवाई करेंगे। वही डॉ जेसी दुर्गापाल ने कहा कि चूंकि राजधानी देहरादून में स्थित है तो स्वाभाविक रूप से हाइकोर्ट गौलापार या रुद्रपुर में बनना चाहिए। पूर्व राज्य मंत्री केवल सती ने अपनी बात रखते हुए कहा कि राज्य गठन की अवधारणा थी कि सभी संस्थाए बराबर रूप से कुमाऊँ-गढ़वाल में विभाजित की जाएंगी, हाई कोर्ट शिफ्टिंग इस मूल अवधारणा के विपरीत है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आनंद सिंह बगडवाल ने कहा कि प्रदेश में नौकरशाही पूर्ण रूप से हावी हो गयी है, उन्हें जन साधारण की सुविधाओं से कोई सरोकार नही है, हाइकोर्ट शिफ्टिंग भी इसी का हिस्सा है। अधिवक्ता जमन सिंह बिष्ट ने कहा कि हाईकोर्ट शिफ्टिंग विधि एवं न्याय मंत्रालय के क्षेत्राधिकार का विषय है, कोई अन्य हाइकोर्ट को शिफ्ट करने का फ़ैसला नहीं दे सकता। अन्य वक्ताओं में बार एसोसिएशन अल्मोड़ा के उपाध्यक्ष कवींद्र पंत, विशाल वर्मा, सुरजीत टम्टा, जयराम आर्या, संजय पांडेय आदि दर्जनों लोग उपस्थित थे।