अल्मोड़ा/ द्वाराहाट: खबर द्वाराहाट के नोबाड़ा से है जहां मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की संक्रांति जिसे घी संक्रांति भी कहते हैं, इस दिन एक विशाल मेला लगता है, जो घी संक्रांति मेले के नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें सुदूर गांवों से हजारों की संख्या में भक्त सुबह से ही पूजा पाठ और माँ के दर्शनों के लिए आते हैं और कीर्तन-भजन करते हैं और भक्तों का आना पुरे दिन चलता रहता है और फिर सभी लोग कुमाऊनी संस्कृति (झोड़ा- चांचरी आदि कर) मेले का आनंद लेते हैं । जो इस वर्ष भी कोरोना महामारी के चलते नहीं लग पाया, जिससे भक्तजनों व श्रद्धालुओं के चेहरों में मायूसी देखने को मिली। मंदिर समिति के मुख्य पुजारी ने बताया कि हमने राजस्व, प्रशासन और मंदिर प्रशासन के मिले-जुले फैसले से हमने यह निर्णय लिया कि इस वर्ष भी मेला नहीं लगाया जाएगा। इसलिए बाहर से किसी भी व्यापारी को नहीं बुलाया गया।
आपको बता दें कि इस क्षेत्र का सबसे बड़ा जाना माना प्रसिद्ध मंदिर है यहां लगातार भक्तजनों वह श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, जो मन से माँ नैथना को याद करता है उसकी मुरादे भी पूरी होती है। नैथना देवी शक्तिपीठ वैष्णवी शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित है। यहां शुद्ध सात्विक वैष्णव पद्धति से पूजा-अर्चना की जाती है। मांसाहार और बलि प्रथा एकदम निषेध है। यहाँ नैथना के पुजारी प्रातः कालीन और शायंकालीन पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्र के दिनों में यहां दर्शनार्थियों की भारी भीड़ लगी रहती है। मंदिर के गर्भ गृह के ठीक सामने भैरव जी तथा हनुमान जी के दो मंदिर हैं। मंदिर के पास ही यज्ञशाला है जो अभी अपने प्राचीन स्वरूप में ही स्थित है। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमामार्ग में लटकी हजारों घंटियां इस बात की साक्षी हैं कि शुद्ध मनोभावों से देवीदर्शन करने वालों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
(रिपोर्ट: मनीष नेगी, द्वाराहाट)