देहरादून(आरएनएस)। मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के नेतृत्व में मूल निवास व सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर कोटद्वार में एक विशाल रैली निकाली गई। इस दौरान पूर्व सैनिकों और महिलाओं ने जन-गीत सुनाकर उत्तराखंड आंदोलन की यादें ताजा कर दी। रविवार को देवी मंदिर से मुख्य मार्गों में होते हुए रैली मालवीय उद्यान में समाप्त हुई। उसके बाद आयोजित जनसभा में वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड एकमात्र हिमालयी राज्य है, जहां राज्य के बाहर के लोग पर्वतीय क्षेत्रों की कृषि भूमि, गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए खरीद सकते हैं और इसका सीधा असर पर्वतीय राज्य की संस्कृति, परंपरा, अस्मिता और पहचान पर पड़ रहा है। राज्य निर्माण के 23 साल बाद भी सरकारों ने जनता के साथ कुठाराघात किया है। अब राज्य की जनता को इस लड़ाई को लड़ने के लिए फिर से सड़कों पर आने की जरूरत है। कहा कि अगर प्रदेश में मूल निवास और मजबूत भू कानून लागू होता तो हल्द्वानी जैसी अप्रिय घटना नहीं होती। मूल निवास और मजबूत भूमि कानून किसी भी बाहरी तत्व के खिलाफ सबसे असरदार हथियार है। कहा कि गढ़वाल मंडल के द्वार कोटद्वार से मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन का शंखनाद हो गया है और इसकी गूंज देहरादून से लेकर दिल्ली तक सुनाई देगी। रैली में समिति के संयोजक मोहित डिमरी, लुसून टोडरिया, प्रमोद काला, यूकेडी अध्यक्ष पूरण कठैत, पूर्व सैनिक महेन्द्र पाल सिंह रावत, पूनम कैंत्युरा, प्रियंक नौडियाल, दीप्ती दुदपुड़ी, गीता नेगी, रंजना रावत, अनिल खंतवाल, रमेश भंडारी, जसबीर राणा, रश्मि पटवाल, आशुतोष कंडवाल, विजय रावत, राजाराम अण्थ्वाल, संजय रावत समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।