अल्मोड़ा। मानसखण्ड विज्ञान केंद्र अल्मोड़ा में रविवार को बौद्धिक संपदा अधिकार आईपीआर पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य स्थानीय उद्यमियों, छात्रों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को आईपीआर के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक करना और उनके ज्ञान को बढ़ाना था। कार्यशाला का शुभारम्भ में यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा कि वर्तमान समय में नवाचार और अनुसंधान को संरक्षित करने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। कार्यक्रम में मानसखंड विज्ञान केंद्र के प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ नवीन चंद्र जोशी ने कार्यशाला के उद्देश्यों और महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ जोशी ने कहा इस तरह की कार्यशालाएं हमारे युवाओं और उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। मानसखंड विज्ञान केंद्र के आईपीर सेल के प्रमुख प्रदीप तिवारी ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार, पेटेंट, पेटेंटिंग प्रोसेस, जीआई टैग, कॉपीराइट विस्तार से जानकारी दी एवं सभी प्रतिभागियों को आईपीआर सेल की भूमिका एवं इसके लाभों के बारे में विस्तार से बताया। कार्यशाला के प्रमुख वक्ता आईपीआर विशेषज्ञ डॉ पी एस नेगी ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रकार, आईपीआर का व्यवसायिक महत्व और आर्थिक लाभ, अनुसंधान और नवाचार में आईपीआर की भूमिका, स्थानीय उद्यमियों और छोटे व्यवसायों के लिए आईपीआर की आवश्यकता आदि के बारे में बताया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ चंद्र प्रकाश भैसोड़ा ने बौद्धिक सम्पदा अधिकार पर अपना विचार रखे तथा अपने अनुभव साझा किये। इस अवसर पर केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक एवं मुख्य अतिथियों द्वारा ग्रीष्मकालीन शिविर में भाग लेने वाले प्रतिभाशाली छात्र एंजेल कौशिक, भूमिका बिष्ट तथा गौरिका नयाल को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुभाष नेगी ने किया। कार्यक्रम के अंत में एमेरिटस वैज्ञानिक डॉ एस एस सामंत ने सभी अतिथियों प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। यहाँ कार्यक्रम में शिवम पंत, तमन्ना बोरा, भास्कर देवड़ी, संजय कनवाल, मनीष पालीवाल, पारस कुमार, उमेश बिष्ट, सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।