देहरादून। राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मंच ने सरकारी सेवाओं में दस फीसदी क्षैतिज आरक्षण को लेकर सरकार के ढीले ढाले रवैये की आलोचना करते हुए कहा है कि यदि जल्द क्षैतिज आरक्षण के लए विधानसभा का विशेष सत्र लाकर कानूनी जामा न पहचाना गया तो राज्य आंदोलनकारी 26 दिसम्बर से उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। शहीद स्मारक में हुई एक पत्रकार वार्ता में संयुक्त मंच संयोजक क्रांति कुकरेती ने कहा कि समाचार पत्रों में सरकार के हवाले से इस आशय की खबरें प्रकाशित हुई हैं कि सरकार विधानसभा का विशेष सत्र जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी में आयोजित करने पर विचार कर रही है, इससे साफ है कि सरकार क्षैतिज आरक्षण के मुद्दे पर तय वादे के अनुसार काम नहीं कर रही है। इस पर मंच को कड़ी आपत्ति है। सरकार की वादे के अनुसार अब तक इसका जीओ जारी हो जाना चाहिए था। लेकिन सरकार जानबूझकर इस मुद्दे को लम्बा लटका रही है। सरकार ने सदन में वादा किया था कि वह 15 दिनों में विशेष सत्र आयोजित करके राज्य आंदोलनकारियों के 10 % क्षैतिज आरक्षण को कानूनी जामा पहना देगी। लेकिन 3-3 बार प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाया गया, परन्तु आज तक धरातल पर कुछ हुआ नहीं। 25 दिसम्बर तक सत्र आयोजित कर इस विधेयक को राजभवन की मंजूरी न दिलवाई गई तो 26 दिसम्बर से उग्र आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। वार्ता में राम किशन, विनोद असवाल, प्रभात डंडरियाल, शैलेन्द्र राणा, मनोज कुमार, आशीष चौहान, सुनीता ठाकुर, राम चन्द्र नौटियाल आदि उपस्थित रहे।