नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी) के पूर्व कार्यकारी सचिव गौतम कुमार बसाक द्वारा दायर सजा के खिलाफ अपील पर सीबीआई को नोटिस जारी किया है। केन्द्रीय इस्पात मंत्रालय के पूर्व अधिकारी को कोयला ब्लॉक आवंटन में भ्रष्टाचार के एक मामले में विशेष अदालत ने तीन साल की जेल की सजा सुनाई है। इस सजा को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने सीबीआई से जवाब मांगते हुए बसाक की सजा को इस साल 15 दिसंबर तक निलंबित कर दिया है। उच्च न्यायालय में इस मामले में अपीलकर्ता गौतम कुमार बसाक की तरफ से वकील अजीत सिंह पेश हुए। विशेष अदालत ने इस साल 22 अगस्त को बसाक को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। बसाक पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
सीबीआई के अनुसार केन्द्रीय कोयला मंत्रालय (एमओसी) ने नवंबर 2006 में कैप्टिव पावर प्लांटों/स्वतंत्र बिजली संयंत्रों के लिए कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए बिजली, स्टील और सीमेंट उत्पादन में लगी कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए थे। एमओसी द्वारा जारी विज्ञापन के जवाब में कई कंपनियों ने कोयला ब्लॉकों के लिए आवेदन किया। प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने छत्तीसगढ़ में स्थित विजय सेंट्रल कॉल ब्लॉक के लिए आवेदन किया था।
सीबीआई ने कहा, इससे पहले चोटिया कॉल ब्लॉक प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आवंटित किया गया था। सीबीआई का आरोप है कि केन्द्रीय कोयला मंत्रालय को 12 जनवरी 2007 को सौंपे गए आवेदन में प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपनी स्पंज आयरन उत्पादन क्षमता 8 एमटीपीए होने का दावा किया था। प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा किए गए दावे पर विश्वास करते हुए, कोयला मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी ने प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड और एसकेएस आईस्पैट लिमिटेड और अन्य के पक्ष में विजय सेंट्रल कोल ब्लॉक के संयुक्त आवंटन की सिफारिश की। इन सिफारिशों को अंतिम मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया था।
इस बीच एसकेएस इस्पात लिमिटेड, युवा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद ओम प्रकाश ने शिकायत दर्ज कराई थी कि प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपनी क्षमता के बारे में गलत जानकारी देकर स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश हासिल की है। इन शिकायतों के मद्देनजर कोयला मंत्रालय ने इस्पात मंत्रालय को अपने आवेदन में प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा किए गए दावों को सत्यापित करने का निर्देश दिया।
इसी के तहत इस्पात मंत्रालय ने गौतम कुमार बसाक को चंपा, रायपुर छत्तीसगढ़ में प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड के संयंत्र का मौके पर सत्यापन करने का निर्देश दिया। 4 अगस्त 2008 को बसाक ने जेपीसी के मैनेजर सौमेन चटर्जी के साथ कथित तौर पर चंपा, रायपुर छत्तीसगढ़ में मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्लांट का दौरा किया और 5 अगस्त 2008 को प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड के दावों का समर्थन करते हुए एक झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पास चार भट्टियां हैं और इसकी स्पंज आयरन उत्पादन क्षमता 8 एमटीपीए है। सीबीआई का आरोप है कि बसाक द्वारा सौंपी गई यह झूठी रिपोर्ट इस्पात मंत्रालय द्वारा कोयला मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दी गई थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर बसाक को भ्रष्टाचार को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई गई है।