नई टिहरी(आरएनएस)। टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि देश-दुनिया में घटते ग्लेशियर और बढ़ते जल संकट को देखते हुए हिमालयी राज्यों, देशों को मिलकर पैरवी करनी जरूरी है। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिमालय और गंगा के सबसे बड़े हिमायती हैं। यदि उन्होंने इस आंदोलन को लीड कर दिया तो, निश्चित ही अंतरराष्ट्रीय विरादरी को इस महत्वपूर्ण विषय पर एकमत होकर निर्णय लेना पड़ेगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हालात यही रहे तो 2050 तक हिमालयी नदियां जलविहीन हो जाएंगी। मुंबई, चेन्नई, कोलकाता पानी में नीचे होंगे। बुधवार को पत्रकार वार्ता करते हुए टिहरी विधायक और हिमालय बचाओ-गंगा बचाओ अभियान वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि हिमालय सहित अन्य पर्वतों में ग्लेशियर लगातार सिकुड़ रहे हैं। 22 मार्च को संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व जल दिवस मनाता है। इस बार की थीम ग्लेशियरों कर वर्तमान स्थिति रखी गई है। जिसके लिए वह 22 मार्च को दिल्ली में उत्तराखंड के सांसदों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों और संत समाज के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। हिमालय पर एक तिहाई बर्फ खत्म हो चुकी है। आलम यह है कि इस पर्वतमाला पर बर्फ की पतली परत 3 गुना बढ़ गई है। एवरेस्ट में बर्फ की मोटाई 150 मीटर प्रतिवर्ष कम हो रही है। विधायक ने कहा कि 2002 तक नई टिहरी में 6 फुट तक बर्फ पड़ती थी, जो बीते एक दशक से लगभग गायब है। कहा कि महाकुंभ भी टिहरी बांध के कारण संपन्न हो पाया। 200 क्यूसेक पानी टिहरी बांध से डिस्चार्ज करने पर ही सदी का सबसे बड़ा सनातन आयोजन संपन्न हुआ। ऐसे में सभी को मिलकर इस समस्या के लिए आगे आना पड़ेगा। सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया, इंग्लैंड जैसे देश भी पिघलते ग्लेशियरों के कारण पानी के नीचे होंगे। बेंनजुएला में ग्लेशियर समाप्त हो गए हैं। स्विट्जरलैंड की स्थिति भी खराब है। किशोर ने कहा कि उन्होंने अवधेशानंद गिरी, कैलाशानंद, चिन्मय पांड्या, हरि चेतन ब्रह्मचारी सहित इस क्षेत्र के एक्सपर्ट बीएन नवलावाला, अविनाश मिश्रा से भी बात की है। दिल्ली के सीएम रेखा गुप्ता को भी यमुना के संबंध में चर्चा करेंगे। उत्तराखंड ही 63 प्रतिशत जल पूरे देश को देता है, इसलिए हमारी जिम्मेदारी ज्यादा है। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष उदय रावत, पूर्व जिलाध्यक्ष विनोद रतूड़ी, चंबा मंडल अध्यक्ष सुशील बहुगुणा, जयेंद्र पंवार आदि मौजूद थे।