पौड़ी(आरएनएस)। राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय बनास पैठाणी में गढ़-भोज दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं ने लौकी की बर्फी, मंडुवा का बाड़ी, रोटी, झंगोरा की खीर, कंडाली की कापली, चावल के पोहा, मारछा के लड्डू आदि को तैयार कर अपनी परंपरा को बचाने का संदेश दिया। प्राचार्य डा. कुमार गौरव जैन ने छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इन महत्वपूर्ण पहाड़ी व्यंजनों के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। कार्यक्रम सयोजक डा. कल्पना रावत ने गढ़-भोज दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार रखे। डा. पुनीत चंद्र वर्मा ने कहा कि आज हमे अपने पारंपरिक व्यंजनों का संरक्षण करना आवश्यक हो गया है जिससे हमारी पहिचान हमेशा बनी रहे। डा. प्रकाश फोंदणी ने कहा कि देश-विदेश में हमारे स्थानीय उत्पादों की बहुत मांग है। कहा कि हमारे पहले के लोग शादी-विवाह आदि में भोजन मालू के पत्तों में करते थे जो कि एंटी बैक्टिरियल और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। बताया कि आज ग्लोबल वार्मिंग के दौर में मिलेट्स पर क्लाइमेट चेंज का पॉजिटिव इंपेक्ट देखा जा रहा है। डा. गौरव जोशी ने कहा कि पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देकर हम इसे उद्यमिता से जोड़ कर स्वरोजगार अपना सकते है। इस मौके पर डा. सतवीर, डा. दिनेश रावत, ऋषभ भंडारी, कीर्ति, अरविंद, अंबिका, ईशा आदि शामिल रहे।