द्वाराहाट/अल्मोड़ा: आज पूरे विश्व में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। कई सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं। भारत हमेशा से ही वैश्विक पटल पर पर्यावरण बचाने की कवायद में जुटा रहा है। भारत ने दुनिया को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचने से लिए कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर भी किए। आज से नहीं सदियों से हमारे महापुरुषों ने पर्यावरण बचाने के लिए तमाम आंदोलन किए। लोगों को जागरूक भी किया। आज जल, जंगल और जमीन सभी कुछ खत्म होता जा रहा है। नदियां सूखती जा रही हैं। किसानी जोतें भी कम होती जा रही हैं। ये प्रकृति का असंतुलन ही है कि न तो उतनी बारिश हो रही है और न ही पहले ही तरह मौसम हो रहा है। या तो इतनी बारिश होती है कि बाढ़ आ जाती है और कहीं बारिश न होने की वजह से सूखा पड़ जाता है। वहीं आज विश्व पर्यावरण दिवस स्व: मदन मोहन उपाध्याय राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वाराहाट में भी जोरों शोरों से मनाया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ए. के जोशी द्वारा बताया गया की स्व. मदन मोहन उपाध्याय राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वाराहाट में पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर रसायन विज्ञान विभाग की ओर से उत्तराखंड में जैविक विविधता और जलवायु परिवर्तन पर इसका प्रभाव इस विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों व कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल, सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा, उत्तर प्रदेश व हरियाणा के 150 डेलिगेट्स जुड़े हुए हैं ।
कैसे हुई थी पर्यावरण दिवस की शुरुआत?
1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को देखते हुए स्टाकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था, इसमें 119 देशों ने भाग लिया। इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था।
(रिपोर्ट: मनीष नेगी, द्वाराहाट)