नई दिल्ली (आरएनएस)। कई देशों में नए कोविड के ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट बीए.2.86 (पिरोला) और ईजी51 (एरिस) के मामलों की रिपोर्ट के बीच, विशेषज्ञों ने नए वेरिएंट पर चिंता व्यक्त की और देश में निरंतर निगरानी पर जोर दिया।
नई दिल्ली के प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ सलाहकार और एचओडी-इंटरनल मेडिसिन डॉ. विजय कुमार गुर्जर ने बताया, कोविड-19 महामारी अब दुनिया के अधिकांश देशों के लिए कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह वायरस दो नए वेरिएंट — बीए.2.86 (पिरोला) और ईजी.5.1 (एरिस) के रूप में कुछ देशों में फिर से प्रवेश कर चुका है। बीए.2.86 को पिछले वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक माना जाता है। ईजी.5.1 तेजी से फैल रहा है, लेकिन यह पिछले संस्करणों से अधिक खतरनाक नहीं है।
यह हवाला देते हुए कि ये वेरिएंट पहले ही अमेरिका और ब्रिटेन सहित दुनिया भर में दिखाई दे चुके हैं, उन्होंने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि दुनिया एक नई लहर का सामना कर रही है।
भारत का जिक्र करते हुए, गुर्जर ने कहा, भारत ने तीन सालों की अवधि में कई प्रकार से संघर्ष किया है। सरकार ने लोगों को उचित सावधानी बरतने और टीका लगवाने की सलाह दी है। यदि अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर कड़ी निगरानी नहीं रखी गई और उचित उपाय नहीं किए गए तो नए वेरिएंट भारत के लिए खतरा हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि देश में पिछली लहरों से पता चला है कि यात्रा से मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है, इसलिए इस पर नजर रखी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, जहां तक वैक्सीन की तैयारी का सवाल है, भारत में पहले की तुलना में बेहतर वैक्सीन कवरेज है, लेकिन हालिया रिपोर्टों से पता चला है कि अप्रैल के बाद से देश की कोविड टीकाकरण दर में 75 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसका मतलब है कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत की तुलना में बहुत कम भारतीयों को टीका लगाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, टीकाकरण दर में गिरावट चिंता का विषय है, खासकर अमेरिका और ब्रिटेन में नए वेरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मौतों में बढ़ोतरी के बीच।
उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक और निदेशक डॉ. शुचिन बजाज ने बताया, कोविड-19 का वैश्विक प्रसार, विशेष रूप से यूके, यूरोप और एशिया में, भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। वायरस के वेरिएंट संभावित रूप से देश में प्रवेश कर सकते हैं, जिसके लिए निरंतर सतर्कता और निगरानी की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, भारत में एक और गंभीर लहर की संभावना विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें टीकाकरण कवरेज, सुरक्षा उपायों का सार्वजनिक अनुपालन और वायरस का व्यवहार शामिल है।
उन्होंने भविष्य की लहरों को रोकने के लिए मास्क पहनने, टीकाकरण और निगरानी के महत्व पर जोर दिया।
बजाज ने बताया, कोविड-19 और संभावित महामारियों का भविष्य निरंतर शोध और चिंता का विषय है। भारतीय विशेषज्ञ न केवल कोविड-19 बल्कि भविष्य की संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विश्व स्तर पर सहयोग कर रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी ताजे अपडेट के अनुसार, रविवार को पिछले 24 घंटों के दौरान भारत में 60 से अधिक कोविड -19 के पॉजिटिव मामले सामने आए है, जिससे देश में कुल मामले बढक़र 4,49,98,035 हो गए। वहीं मरने वालों की संख्या 5,32,029 है।
मंत्रालय के अनुसार, अब तक कोविड-19 वैक्सीन की 220.67 करोड़ से ज्यादा डोज दी जा चुकी हैं।