देहरादून(आरएनएस)। साइबर ठगों ने ठगी का नया तरीका ढूंढ निकाला है। इसमें वह उन लोगों का डाटा जुटा रहे हैं, जिनके बेटे घर से दूर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। साइबर ठग ऐसे परिजनों को वीडियो कॉल करते हैं। उन्हें पुलिस थाने जैसा माहौल दिखाया जाता है। डराते हैं कि उनका बेटा दुष्कर्म या अपहरण जैसे गंभीर मामले में गिरफ्तार हुआ है। फिर बेटे की रोने की आवाज सुनाई जाती है। उसका कॅरियर खराब होने से बचाने का डर बनाते हुए तत्काल 10 से 15 लाख रुपये की मांग की जाती है। घबराए परिजन बेटे से संपर्क करने के बजाए पहले आरोपियों के दिए बैंक खाते में लाखों रुपये जमा करा देते हैं। इसके बाद बेटे से संपर्क होता है तो पता लगता है, उसके साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है। दून में जनवरी से अब तक दस से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।
पहला मामला
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे दून निवासी वीरेंद्र उनियाल के बेटे के गिरफ्तार होने का डर बनाकर साइबर ठगों ने 3.40 लाख रुपये हड़प लिए। बीते 27 जनवरी को उनके व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को साइबर थाने और एसआईटी का अधिकारी बताया। डराया कि उनके बेटे को कॉलेज हॉस्टल से उसके साथी संग गिरफ्तार किया गया है। कॉल के बीच में थाने जैसा माहौल दिखाते हुए उनके बेटे के रोने की नकली आवाज सुनवाई गई। केस से बचाने के नाम पर 12 लाख रुपये मांगे।
दूसरा मामला
जयपुर में एमबीबीएस कर रहे दून निवासी पीपी सिंह के बेटे के जज की बेटी से गैंगरेप में फंसने का झांसा देकर 5.75 लाख रुपये जमा करवा लिए गए। बीती दो जनवरी को उन्हें व्हाट्सएप पर कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को जयपुर पुलिस का अफसर बताया। डराया कि उनके बेटे को जज की बेटी से गैंगरेप में अन्य आरोपियों के साथ पकड़ा गया है। आरोपी ने उनके बेटे से मिलती जुलती आवाज में किसी को रोते हुए सुनाया।
तीसरा मामला
बेटे के दुष्कर्म के केस में फंसने का झूठा डर बनाकर साइबर ठगों ने गंगा देवी से 60 हजार रुपये ठग लिए। उनके पास बीती तीन फरवरी को फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि वह नेहरू कॉलोनी थाने से आईपीएस अफसर बोल रहा है। डराया कि उनका बेटा रेप के केस में फंसा है। बेटे को केस से बचाने के नाम पर रकम मांगी गई। महिला ने रकम जमा करवा दी। इसके बाद बेटे से संपर्क हुआ तो वह सुरक्षित था।
घबराएं नहीं, रिपोर्ट करें
साइबर थाना देहरादून के डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा का कहना है कि ऐसी कॉल आने पर परिजन कतई न घबराएं। आरोपियों के बैंक खाते में रकम जमा कराने के बजाए सबसे पहले बेटे से संपर्क करें। इसके बाद साइबर ठगों के नंबर को साइबर पोर्टल 1930 या https//cybercrime.gov.in/ पोर्टल पर रिपोर्ट करें।
साइबर ठग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए आवाज क्लोन कर या थाने जैसा माहौल दिखाकर यह ठगी कर रहे हैं। इनमें उन लोगों को सतर्क होने की जरूरत है, जिनके बेटे घर से बाहर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। उत्तराखंड ही नहीं देशभर में इस तरह की वारदातें तेजी से बढ़ी हैं। – आयुष अग्रवाल, एसएसपी एसटीएफ