छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ : सुनील

देहरादून। ऑल इंडिया अन एडिड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से कराई जा रही कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट परीक्षा (cuet) में छात्रों छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्या जा रहा है। उन्होंने कहा कि कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के लिए बीएड के परीक्षार्थियों के परीक्षा केंद्र 300 किलोमीटर दूर तक रखे गए हैं, जबकि छात्रों द्वारा परीक्षा केंद्र की चॉइस अपने शहर में दी गई थी।
उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी के कई छात्र-छात्राओं के परीक्षा केंद्र मेरठ और मुजफ्फरनगर में रखे गए हैं। जो उत्तरकाशी से 300 किलोमीटर दूर है। इसी तरह की सूचनाएं हैं कि श्रीनगर के अधिकांश छात्रों की परीक्षा केंद्र मेरठ और बरेली रखा गया है। ऐसी सूचना भी प्राप्त हुई है कि देहरादून के छात्र का परीक्षा केंद्र आगरा रखा गया है। जिसके कारण अधिकांश छात्र प्रवेश परीक्षा देने से वंचित रह गए हैं।
इसी तरह की सूचनाएं अन्य पर्वतीय क्षेत्रों से भी प्राप्त हो रही हैं। अधिकांश छात्रों के परीक्षा केंद्र मेरठ, बरेली, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद रखे गए हैं। यह सर्वविदित है पर्वतीय क्षेत्र में बीएड कोर्स में 80 फीसद महिलाएं होती हैं। उनका प्रवेश परीक्षा केंद्र अपने शहर से काफी दूर रखना उन्हें प्रवेश परीक्षा से वंचित रखना है।
डॉ सुनील अग्रवाल ने कहा कि यह सर्वविदित है की हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में एडमिशन b.ed प्रवेश cuet की परीक्षा देने वाले छात्रों के ही होने हैं। गत सत्र में cuet की प्रवेश परीक्षा के समुचित संख्या में छात्र उपलब्ध ना होने के कारण कॉलेजों में 50 फीसद सीटें खाली रह गई थी। विश्वविद्यालय से खाली सीटों पर b.ed के लिए अर्हता प्राप्त अन्य छात्रों की प्रवेश की गुजारिश के बावजूद विश्वविद्यालय ने बिना cuet के प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी। ऐसे में कॉलेजों में सीटें खाली रह गई थी और छात्र प्रवेश से वंचित रह गए थे।
उन्होंने कहा कि इस सत्र में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा परीक्षा केंद्र दूर रखने से अधिकांश छात्र प्रवेश परीक्षा से वंचित रह गए हैं। जो सीधे-सीधे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। इस संबंध में एसोसिएशन द्वारा यूजीसी को पत्र लिखा गया है कि सेंटर दूर होने के कारण परीक्षा से वंचित छात्र-छात्राओं कि उन्हीं के शहर में उन्हें परीक्षा के लिए आदेश जारी किए जाएं। ताकि छात्र अपना भविष्य सुरक्षित रख सकें। अन्यथा यह परीक्षा मजाक बनकर रह जाएगी।