देहरादून(आरएनएस)। उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से आयोजित उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान – 2023 में बुधवार को अलग – अलग श्रेणियों में दस साहित्यकारों को पुरस्कृत किया गया। सीएम पुष्कर धामी ने पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा कि बोली भाषा और संस्कृति को बचाने का काम अपने घरों से करना होगा।
संस्थान की ओर से आईआरडीटी सभागार में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए, सीएम धामी ने कहा कि सरकार स्थानीय बोली भाषाओं को प्रोत्साहन देने का प्रयास कर रही है, यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भाषा और साहित्य की सेवा करने वाली कई हस्तियों ने जन्म लिया है। इससे राज्य की पहचान बढ़ी है। उन्होंने कहा कि जो समाज बोली, भाषा, संस्कृति को सम्मान नहीं देता है वो अपनी पहचान खो देता है। इसलिए बोली भाषा को घरों से प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने चुटकी लेते हुए कहा कि पहले मंत्री सुबोध उनियाल कहते थे कि उन्हें भाषा विभाग सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए दिया गया है, लेकिन भाषा विभाग और भाषा संस्थान ने अपने शानदार काम से अपनी पहचान बनाई है। इस मौके पर विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विभाग प्रदेश में एक साहित्य ग्राम स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, उन्होंने सीएम से इसके लिए जमीन आवंटित करने का अनुरोध किया। इस मौके पर पूर्व मुख्य सचिव इंदू कुमार पांडेय ने बतौर मुख्य वक्ता अपना संबोधन दिया। कार्यक्रम में विधायक खजान दा, पूर्व वीसी डॉ. सुधारानी पांडेय, सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी, निदेशक स्वाति भदौरिया सहित कई साहित्यकार शामिल हुए।
इन्हे मिला पुरस्कार
प्रो. लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’ -सुमित्रानंदन पंत पुरस्कार (हिंदी साहित्य में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए)
देवकी नंदन भट्ट ‘मयंक’ – गुमानी पंत पुरस्कार (कुमाउंनी बोली- भाषा में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए)
गिरीश सुंदरियाल – भजनसिंह ‘सिंह’ पुरस्कार (गढ़वाली बोली- भाषा में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए)
डॉ. सुरेश मंमगाई – गोविंद चातक पुरस्कार (उत्तराखंड की अन्य बोली- भाषा में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए)
प्रेम कुमार साहिल – अध्यापक पूर्ण सिंह पुरस्कार (पंजाबी भाषा में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए)
केए खान उर्फ नदीम बरनी – प्रो. उनवान चिश्ती पुरस्कार (उर्दू भाषा में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए)
प्रो. शैलेय – महादेवी वर्मा पुरस्कार (मौलिक महाकाव्य, खंड काव्य, काव्य संकलन के लिए)
डॉ. सुशील उपाध्याय – शैलेश मटियानी पुरस्कार (मौलिक कथा साहित्य संकलन के लिए )
डॉ. ललित मोहन पंत – डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार (हिंदी के अन्य गद्य विद्याओं में मौलिक लेखन के लिए)
गणेश खुगशाल ‘गणी’ – भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार (साहित्यिक पत्र – पत्रिका लेखन के लिए)
परिचायिका में कई खामिया
साहित्य सेवा में भाषा संस्थान राज्य का सबसे बड़ा संस्थान है, संस्थान की ओर से इस सम्मान समारोह के लिए परिचायिका प्रकाशित की गई है। जिसमें कई खामियां हैं, परिचायिका में जाने माने पत्रकार भैरव दत्त धूलिया का नाम सभी जगह ‘भैरत दत्त’ दिया गया है। शैलेश मटियानी पुरस्कार के शीर्षक में पुरस्कार गायब है।