अल्मोड़ा/द्वाराहाट: सांस्कृतिक नगरी द्वाराहाट में पाली पछांऊ के ऐतिहासिक और पौराणिक स्याल्दे बिखोती मेले का आगाज कल बुधवार को विमांडेश्वर मंदिर में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुआ। बिखोती मेले की पहचान नगाड़े, निशानों के साथ नृत्य, झोड़ा चांचरी करते हुए ग्रामीण विमांडेश्वर मंदिर पहुंचे। आपको बता दें कि ऐतिहासिक स्याल्दे मुख्य मेले में नगाड़े की गर्जना व हुड़के की घमक के साथ वीररस की हुंकार ने हिमालयी गौरवशाली अतीत के दर्शन कराए। सरंकार नृत्य ने जहां रणकौशल की बानगी दी। वहीं प्रेम व श्रृंगार रस से लबरेज झोड़ा व चांचरी ने माहौल में अलग ही मिठास घोली। वहीं रणसिंग की गगनभेदी धुन के बीच न्योजुला धड़े के जोशीले रणबांकुरों ने ओड़ा भेंटने की रस्म निभाई। पौराणिक रस्म झोड़ा व चांचरी की उमंग से सराबोर रही। मुख्य स्याल्दे मेले को देखते हुए सुबह से ही महिलाओं की टोलियां मुख्य चौराहे पर जुटनी शुरू हो गई थी। शाम को न्योजूला धड़े की ग्राम बमनपुरी, सलालखोला, ध्याड़ी, विद्यापुर, जमीनीवार-जमीनीपार, इड़ा, हाट, कोला, छतिना, काहाली के रणबांकुरों ने नौ जोड़े नगाड़े निसाणों के साथ ओड़ा भेंटा। इस दौरान पूरा नगर त्रिशूल सजे निषाणों से लदा हुआ था। हालांकि मौसम ने भी अपना रुख बदल दिया था बारिश की बूंदाबादी के साथ भी कौतीकारो में रौनक देखने को मिली लेकिन कुछ समय के लिए व्यापारियों के चेहरों में मायूसी छा गई थी। पुलिस प्रशासन की व्यवस्था भी अच्छी रही।
(रिपोर्ट: मनीष नेगी, द्वाराहाट)